कोरोना वायरस के चलते पिछले करीब एक साल से पूरी दुनिया में अर्थव्यवस्था के साथ ही शिक्षा पर भी बुरा असर पड़ा है. कोरोना के चलते अभी भी दुनियाभर में स्कूल-कॉलेज बंद हैं. अमेरिका में एक बार फिर से कोरोना के मामले बढ़ने के बाद वहां के कई राज्यों और स्थानीय अधिकारियों की तरफ से इस पर विचार किया जा रहा है कि स्कूलों को बंद रखें.
लेकिन, शोध में बच्चों को लेकर जो नतीजे आए हैं वह राहत जरूर देती है. शोध में अब इस बात की पुष्टि हुई है कि स्कूल कोरोना फैलने का बड़ा खतरा नहीं है. लेकिन, जब देश कोरोना महामारी पर नियंत्रण खोएगा तो इसमें यह कोरोना को और फैलने में अपना योगदान देगा. नेशनल ज्योग्राफिक ने आइलैंडिक स्टडी के एक रिजल्ट का हवाला दिया है, जिससे यह जाहिर होता है कि बच्चों का कोरोना वायरस महामारी के फैलने में कितना योगदान है.
करीब ऐसे 40 हजार लोगों पर स्टडी की गई जो कोरोना के संपर्क में आने के चलते क्वारंटाइन किए गए थे. इससे पता चला कि वयस्कों की तुलना में 15 साल से कम आयु के बच्चों से कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा आधा था.
यानी, वयस्क जितना कोरोना का प्रसार कर सकता था उसके मुकाबले बच्चे आधा प्रसार कर सकते थे. उन सभी बच्चों में कोरोना का संक्रमण वयस्कों से ही हुआ था. deCODE के चीफ एग्जक्यूटिव कारी स्टेफेनशन ने कहा- वे दोनों ही संक्रमित हो सकते हैं और एक-दूसरे में फैला सकते हैं, लेकिन वे वयस्क के मुकाबले कम तेजी से बच्चे इस वायरस को फैलाते हैं.
यह विश्लेषण उस बड़े पैमाने पर की गई स्टडी का समर्थन करता है जिससे यह निष्कर्ष निकला कि संक्रमित वयस्क बच्चों के लिए कहीं ज्यादा खतरा है बच्चों से वयस्क में संक्रमण के मुकाबले. इस स्टडी से उन अधिकारियों को मदद मिल सकती है जो इस बात को लेकर असमंजस में है कि कब तक स्कूलों को बंद रखें.
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