Kim Jong Un Declares North Korea Nuclear State: उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग-उन (Kim Jong-Un) ने पिछले दिनों अपने देश को परमाणु हथियारों से लैस देश घोषित कर दिया. इसके लिए किम ने संसद से कानून भी पास करा लिया.
इसके साथ ही किम ने ये एलान भी कर दिया कि अगर नॉर्थ कोरिया पर 100 साल के लिए भी प्रतिबंधित कर दिया जाए, तो भी वह अपने परमाणु हथियारों पर काम नहीं छोड़ेगा. किम ने एक बार फिर से पूरी दुनिया को खौफ के साए में डाल दिया है. यही नहीं, नॉर्थ कोरिया फिर से परमाणु परीक्षण के लिए तैयार है. चीन के सपोर्ट के चलते दुनिया के ताकतवर देश भी कोरियाई तानाशाह के आगे बेबस नजर आ रहे हैं.
क्या है परमाणु हथियार राष्ट्र
परमाणु हथियारों से संपन्न राष्ट्र (Nuclear Weapons State) का मतलब है एक ऐसा देश जिसने 1 जनवरी 1967 से पहले परमाणु हथियार बना लिए हों या परमाणु हथियारों को विकसित करने की क्षमता से लैस हो. इसके साथ ही उस देश पर जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं.
गौरतलब है कि साल 1964 तक अमेरिका ही इकलौता परमाणु हथियार से लैस राष्ट्र (NWS) था. हालांकि तब तक फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम, चीन और सोवियत संघ ने परमाणु हथियार क्षमता विकसित कर ली थी. बाद में इन देशों में भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और इज़राइल भी शामिल हो गए.
रबर स्टैंप संसद में किम का कानून
उत्तर कोरिया में नाममात्र की संसद यानी रबर स्टैंप संसद ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक कानून पास किया. देश की आधिकारिक कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी (KCNA) के मुताबिक गुरुवार को उत्तर कोरिया की संसद सुप्रीम पीपुल्स असेंबली (Supreme People’s Assembly) ने 2013 के कानून को बदलकर एक नया कानून पास किया.
दरअसल इस कानून में सबसे पहले उत्तर कोरिया की परमाणु स्थिति की रूपरेखा तय की गई थी. मूल 2013 के कानून में कहा गया था कि उत्तर कोरिया परमाणु हथियारों का इस्तेमाल शत्रुतापूर्ण परमाणु राज्य से आक्रमण या हमले को रोकने के लिए कर सकता है और जवाबी हमले कर सकता है. नया कानून इससे आगे जाता है. अब नए कानून के तहत किम जोंग- उन ने अपने देश को परमाणु हथियार वाला राष्ट्र (Nuclear Weapons State) घोषित कर डाला है.
क्या है नए कानून में
उत्तर कोरिया की परमाणु स्थिति का ये नया कानून उन शर्तों को बताता है जिनके तहत उत्तर कोरिया परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है. इसके तहत जब उत्तर कोरिया के नेतृत्व को ये लगे कि उसके दुश्मन की ताकत उस पर जल्द ही गैर परमाणु और परमाणु हमला कर सकती है तो वह परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है.
इस कानून के तहत हमले की आशंका के तहत प्योंगयांग (Pyongyang) को अपनी रक्षा के लिए शुरू में ही परमाणु हमलों (Pre-Emptive Nuclear Strikes) का इस्तेमाल करने की इजाजत दी गई है. परमाणु रणनीति में पहला हमला या प्रीमेप्टिव स्ट्राइक भारी बल का इस्तेमाल कर पहले ही अचानक किया जाने वाला हमला है. उत्तर कोरिया के इस तानाशाह के इस कदम से इस क्षेत्र और तनाव बढ़ने की आशंका है.
आत्मरक्षा का हक नहीं छोड़ेंगे
उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग-उन ने कहा, "हम अभी जिन अस्थाई मुश्किलों का सामना कर रहे हैं, उन्हें कम करने के लिए हम अपने आत्मरक्षा के अधिकारों को कभी नहीं छोड़ेंगे, जो हमारे देश के अस्तित्व और हमारे लोगों की सुरक्षा को पुख्ता करते हैं.”
अमेरिका और दक्षिण कोरिया पर टेढ़ी नजर
किम जोंग उन ने दक्षिण कोरिया (South Korea) की अपनी पारंपरिक हमले की क्षमताओं का विस्तार करने और अमेरिका के साथ बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास को फिर से शुरू करने की योजना के लिए आलोचना की, उन्हें "खतरनाक" बताया. किम जोंग उन का कहना है कि संयुक्त राज्य अमेरिका (United States America) का मकसद केवल हमारी परमाणु शक्ति को खत्म करना ही नहीं, बल्कि अंततः हमें आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर करना है या हमारे परमाणु हथियारों को छुड़वा कर हमारे आत्मरक्षा के अधिकारों को कमजोर करना है, ताकि वे किसी भी वक्त हमारी सरकार को गिरा सकें.
फिर से परमाणु परीक्षण की तैयारी
उत्तर कोरिया की संसद में देश को परमाणु हथियार राष्ट्र घोषित करने का यह कानून उस वक्त पास हुआ, जब उत्तर कोरिया पांच साल बाद अपना परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करने की तैयारी में है. वैश्विक परिदृश्य में उत्तर कोरिया पर नजर रखने वाले जानकारों का मानना है कि ये देश अपनी परमाणु परीक्षणों की पैरवी के लिए ये कानून लेकर आया है. गौरतलब है कि साल 2018 के ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन में इस मसले का हल करने की कोशिश की थी.
तब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प (Donald Trump) और विश्व के नेताओं की प्योंगयांग को उसके परमाणु हथियारों के विकास पर रोक लगाने की ये कोशिश भी नाकाम रही थी. किम ने इसके लिए साफ तौर पर इंकार कर दिया था. इसके बाद अमेरिका ने इस मामले में दक्षिण कोरिया के सहारे किम जोंग उन से बात करने की कोशिश की थी, लेकिन इस पेशकश को भी परमाणु हथियार (Nuclear Weapons) के दीवाने इस देश ने ठुकरा दिया था.
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