नई दिल्ली: उत्तर कोरिया अब मिसाइल टेस्ट नहीं करेगा क्योंकि इससे दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति की नींद में खलल पड़ता है. ये कहना है खुद उत्तर कोरिया के सनकी शासक, किम जोंग उन का. कोरियाई प्रायद्वीप में शांति बहाली के लिए किम जोंग उन शुक्रवार को दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन से मिलने को लिए दोनों देशों के बीच बने डिमिलिट्राइज़ जोन यानि डीएमजेड पहुंचा था.
उत्तर कोरिया अब नहीं करेगा परमाणु परीक्षण
भले ही इंटर कोरियन समिट-2018 के दौरान मिसाइल टेस्ट से दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति की नींद खलल पड़ने की बात किम जोंग उन ने मजाक में की हो, लेकिन माना जा रहा है कि अब उत्तर कोरिया कोई ना तो परमाणु परीक्षण करेगा और ना ही कोई मिसाइल टेस्ट करेगा.
ये बात किम ने इसलिए कही क्योंकि पिछले साल नबम्बर के महीने में जब उत्तर कोरिया ने रात के वक्त अपनी सबसे लंबी दूरी की मार करने वाली बैलेस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया तो दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून ने रात में ही अपने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों से मीटिंग की और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी फोन पर कोरियाई प्रायद्वीप की सुरक्षा की समीक्षा की थी.
हालांकि दक्षिण कोरिया की सरकार और यहां के लोग इस बात से आश्वास्त है कि इस शिखर सम्मलेन से कोरियाई प्रायद्वीप में शांति की पहल हुई है और निरस्त्रीकरण का रास्ता खुलेगा, लेकिन बहुत से ऐसे भी लोग हैं जो मानते है कि किम के दिमाग को कोई नहीं पढ़ सकता. वो कभी भी अपने वादे से पलट सकता है.
रॉकेट-मैन के नाम से मशहूर है किम जोंग
दुनिया में रॉकेट-मैन और मिसाइल-मैन जैसी उपाधियां पा चुका किम जोंग उन भले ही शुक्रवार को डीएमजेड के पनमूनजोम गांव की पीस बिल्डिंग में कोरियाई प्रायद्वीप में शांति की पहल करने आया हो लेकिन वो अपनी करतूतों से बाज़ नहीं आ रहा है. सुबह करीब साढ़े नौ बजे जब किम डीएमजेड पहुंचा, तो तयशुदा कार्यक्रम के तहत उसे दोनों देशों के बीच खिंची मिलिट्री डिमार्केशन लाइन यानि रेखा को पार कर आना दक्षिण की तरफ आना था. यानि दक्षिण कोरिया की तरफ आना था. लेकिन वहां उसकी आगवानी करने के लिए खड़े मून को वो अपने साथ विभाजन रेखा के उत्तर ले गया. उत्तर में मून को ले जाने से बाद ही वो फिर दक्षिण कोरिया के अधिकार-क्षेत्र में दाखिल हुआ. जबकि मून को उत्तर कोरिया में जाने का कोई कार्यक्रम नहीं था. लेकिन इस दौरान वो अपने चिरपरचित अंदाज में हंसता-मुस्काराता ओर बड़े ही अनौपचारिक तरीके से मून और वहां मौजूद दूसरे लोगों से बातचीत करता दिखा.
लेकिन पीस बिल्डिंग के विजिटर रजिस्टर में किम ने लिखा "नया इतिहास अब शुरू होता है, इतिहास के शुरुआती बिंदु से शांति का काल/समय (से शुरू हो रहा है) ".
डीएमजेड का 'यूनिफिकेशन ब्रिज क्यों है खास?
इस दौरान दुनियाभर की मीडिया डीएमजेड पर जुटी थी. इस ऐतिहासिक मीटिंग की कवरेज के लिए एबीपी न्यूज भी डीएमजेड के खास 'यूनिफिकेशन ब्रिज' पर मौजूद था. ये पुल दक्षिण और उत्तर कोरिया को जोड़ता है. मून जे इन का काफिला यहीं से निकला,जिसके लिए कड़े सुरक्षा इंतजाम किए गए थे.
डीएमजेड को जाने वाली सड़क पर ' One Korea Now' यानि कोरिया एक है के बैनर लगे थे और दोनों देशों को एक बनाकर झंडे भी लगे थे. दरअसल दोनों ही देशों के लगता है कि कभी ना कभी भविष्य में उनका यूनिफिकेशन यानि एकीकरण हो जायेगा. ऐसे में जब इंटर कोरियन समिट के जरिए प्रायद्वीप में शांति बहाली की शुरूआत हुई है तो यहां के लोग इसे दोनों देशों के एकीकरण से जोड़ कर देख रहे हैं. क्योंकि 1948 से पहले तक दोनों देश एक ही थे. विभाजन के मात्र दो साल बाद ही 1950 में दोनों देशों में तीन साल लंबा युद्ध चला था. 1953 में युद्धविराम संधि तो हो गई लेकिन शांति समझौता ना होने के कारण आज तक दोनों देशों के संबंध बेहद तनावपूर्ण थे.
किम जोंग के साथ उनकी बहन भी थी साथ
इससे पहले सुबह किम अपनी बहन किम यो जोन और नौ सदस्य प्रतिनिधिमंडल को साथ डीएमजेड पहुंचा. यहां पर दक्षिण कोरिया ने उसका सैन्य पंरपरा से स्वागत किया. क्योंकि ये सैन्य पंरपरा तब की है जब दोनों कोरियाई देश एक ही थे. इसपर जब किम ने प्रसन्नता जाहिर की तो राष्ट्रपति मून ने उसे सियोल स्थित अपने आधिकारिक आवास, ब्लू हाउस आने का निमंत्रण देकर कहा कि वहां का गार्ड ऑफ ऑनर इससे भी ज्यादा भव्य होगा. इसपर किम ने भी मून को प्योंगयांग (उत्तर कोरिया की राजधानी) आने का निमंत्रण दिया.
गार्ड ऑफ ऑनर के बाद दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल ने वार्ता की और दोपहर 12 बजे अलग अलग लंच के लिए निकल गए. पीस बिल्डिंग के करीब ही उत्तर कोरिया की अपनी एक बड़ी बिल्डिंग है जहां उसने लंच किया (शाम को डिनर दोनों एक साथ करेंगे).
दोनों ने मिलकर लगाया पेड़
लंच के बाद भी दोनों देशों के राष्ट्रध्यक्षों में वार्ता हुई. इस दौरान किम की बहन जो योंग भी हमेशा अपने भाई के साथ नजर आई. शाम चार बजे दोनों देशों के प्रमुखों ने डीएमजेड में एक चीड़ का पेड़ लगाया. इसके लिए मिट्टी भी दोनों देशों के अलग अलग पहाड़ों से लाई गई थी और पानी में अलग अलग नदियों का था.
पेड़ लगाने के बाद मून और किम डीएमजेड में कुछ देर अकेले भी टहले और फिर जंगल में ही बने एक छोटे से फुटब्रिज पर बैठकर बात भी की ओर चाय भी पी. शाम छह बजे डिनर का आयोजन डीएमजेड में ही किया गया है जिसे दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ने होस्ट किया है. शाम 8 बजे तक माना जा रहा है कि ये डिनर चलेगा और फिर कोई बड़ी घोषणा की जा सकती है . डिनर में खास तौर से उत्तर कोरिया को व्यंजन और अल्कोहल विवरेज का ध्यान रखा गया है. दोनों एक दूसरे विदा लेने ले पहले साझा बयान पर हस्ताक्षर करेंगे और उसे जारी भी करेंगे.