Chinese New Year: जानिए लूनर न्यू ईयर क्या है, इस बार क्यों हो रहा है विवाद
दुनिया में कई ऐसे समुदाय हैं जो नए साल की शुरुआत चांद पर आधारित कैलेंडर के हिसाब से मानते हैं. इस बार 5 फरवरी से शुरू होने वाला लूनर न्यू ईयर के लिए वह सभी तैयार हैं. आइए जानते हैं इससे जुड़ी खास बातें
नई दिल्ली: लूनर न्यू ईयर के बारे में आपने सुना होगा. दुनिया में कई ऐसे समुदय हैं जो नए साल की शुरुआत चांद पर आधारित कैलेंडर के हिसाब से मानते हैं. इस बार 5 फरवरी से शुरू होने वाला लूनर न्यू ईयर के लिए सभी तैयार हैं. 15 दिनों तक चलने वाले नए साल का समापन लालटेन उत्सव के साथ होगा.
दरअसल चीनी राशि चक्र के मुताबिक हर साल लूनर न्यू ईयर किसी जानवर से जुड़ा होता है. जैसे पिछले साल का जानवर कुत्ता था वैसे ही साल 2019 ईयर ऑफ द पिग यानी सुअर के नाम है.
चीनी एस्ट्रोलॉजी के मुताबिक, हर किसी के जन्म के वर्ष का प्रतिनिधित्व एक पशु करता है. इसी आधार पर चीन में 12 वर्षो को अलग-अलग पशुओं के संकेतों के रूप में मनाया जाता है.ये 12 पशु हैं चूहा, बैल, बाघ, खरगोश, ड्रैगन, सांप, घो़ड़ा, बकरी, बंदर, मुर्गा, कुत्ता और सूअर.
क्या है मान्यता
चीनी कैलेंडर से जुड़ी मान्यता है कि भगवान बुद्ध को सम्मान देने के लिए केवल 12 जानवर ही आए थे. इसके बाद जिसके बाद भगवान बुद्ध ने उन जानवरों को चीनी राशि चक्र के आधार पर 12 अलग-अलग वर्षों में बांट दिया और तब से ही वहां के लोग हर साल किसी खास जानवर को समर्पित करते हैं.
लूनर न्यू ईयर के मुताबिक जुस पशु के नाम होता है उससे संबंधित सजावट हर जगह देखने को मिलती है. इसका मतलब यह है कि तोहफो और विज्ञापनों और अन्य जगहों पर इस बार सुअर की तस्वीर और आकृति दिखेगी.
मुस्लिम आबादी वाले देशों में विवाद
इस वर्ष का पशु सूअर के होने की वजह से मुस्लिम आबादी वाले देशों में इसपर एक बहस शुरू हो गई है. दरअसल मुसलमानों के लिए सुअर खाना निषेध है और इसे अपवित्र समझा जाता है. ऐसे में इंडोनेशिया और मलेशिया इस्लामिक देश और वहां लोग इसे मुसलमानों के लिए 'अनुचित और 'इस्लामी आस्था को कमज़ोर करने वाला बताते हैं. हालांकि कई ऐसे भी मुसलमान हैं जो अलग-अलग संस्कृतिक पृष्ठभूमि, धर्मों और परंपराओं को मानने वाले लोगों की मान्यताओं को बढ़ावा देते हैं और इसका सम्मान करते हैं.
इसे स्प्रिंग फेस्टिवल भी कहते हैं
चीन में इसे स्प्रिंग फेस्टिवल कहते हैं. इस दिन से ठंडे दिनों का अंत माना जाता है. लोग वसंत का स्वागत करते हैं. वहीं हिंदू कैलेंडर के मुताबिक 10 फरवरी को है बसंत पंचमी है.10 फरवरी को बसंत पंचमी है, हिंदू कैलेंडर के मुताबिक माघ महीने के शुक्ल पक्ष को पंचमी मनाई जाती है. ऐसी पौराणिक मान्यता है कि इस दिन से सर्दी के महीने का अंत हो जाता है और ऋतुराज बसंत का आगमन होता है. बसंत पंचमी का दिन मां सरस्वती की पूजा का विशेष दिन माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि मां सरस्वती ही बुद्धि और विद्या की देवी हैं. बसंत पंचमी को हिन्दू मान्यताओं के अनुसार एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है.