नई दिल्ली: अमेरिका ने सहयोगी देशों को चेतावनी जारी की है. ये चेतावनी रूस के साथ किसी तरह के हथियार खरीद को लेकर जारी की गई है. अमेरिका ने रूस पर पाबंदियां लगा रखी हैं और इस सबसे शक्तिशाली देश का दुनिया से कहना है कि इन पाबंदियों को मुख्यतौर पर हथियार खरीद और बड़े सौदों के परिप्रेक्ष्य में ही लागू किया जाएगा. अमेरिका ने ये बयान रूसी राष्ट्रपति के भारत पहुंचने के एक दिन पहले यानी बुधवार को दिया है और अब जब भारत-रूस के बीच एस- 400 मिसाइल सिस्टम समेत कई बड़े समझौते हो सकते हैं, तो आइए आपको बताते हैं कि क्या है अमेरिक का कानून CAATSA जिसका साया भारत-रूस के इन सौदों पर मंडरा रहा है.


क्या है CAATSA
अमेरिका ने अपने दुश्मनों पर लगाम लगाने के लिए 'काउंटरिंग अमेरिकाज़ एडवर्सरी थ्रू सैंक्शंस एक्ट' (CAATSA- काटसा) पास किया है. अमेरिका के इस घरेलू कानून का मतलब और अभिप्राय ये है वो इसके तहत अपने दुश्मनों पर पाबंदियां लगाकर उनकी लगाम टाइट कर सके. इस कानून के तहत अमेरिका ऐसे किसी भी देश पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने को तैयार और सक्षम है जो रूस, ईरान और नॉर्थ कोरिया जैसे देशों के साथ व्यापार को बढ़ावा देते हों.


अमेरिका ने कहा, "हम अपने मित्र और सहयोगी देशों से अपील करते हैं कि वो रूस के साथ ऐसा कोई समझौता न करें जो काटसा कानून का उल्लंघन करते हों." अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट के एक प्रवक्ता ने ये बयान उस सवाल के जवाब में दिए जिसमें उनसे भारत और रूस के बीच होने वाले संभावित एस- 400 समझौते के बारे में पूछा गया था. इस कानून के तहत अमेरिका ने रूस के तेल और गैस व्यापार पर पाबंदियां लगा रखी हैं. वहीं, इन पाबंदियों की जद में रूस के हथियार व्यापार और आर्थिक संस्थान भी आते हैं.


अमेरिका के प्रवक्ता ने ये भी कहा, "काटसा कानून के सेक्शन 231 के मुताबिक ये उनके खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता है जो अपनी क्षमता बढ़ाने की कोशिश कर रहे हों. इसमें एस- 400 एयर एंड मिसाइल डिफेंस सिस्टम शामिल है (क्योंकि ये गुणात्मक क्षमता बढ़ाने में अहम साबित होगा)."


रूस पर क्यों लगाए गए प्रतिबंध
अमेरिका ने रूस पर ये प्रतिबंध दो बड़े कारणों से लगाए हैं. पहला कारण ये है कि अमेरिका का मानना है कि रूस ने यूक्रन में गैरवाजिब हस्ताक्षेप किए हैं. आपको बता दें कि यूक्रेन विवाद शुरू होने के बाद रूस ने यूक्रेन का हिस्सा रहे क्रीमिया को 2014 में अपने देश में मिला लिया. वहीं, अमेरिका का आरोप है कि 2016 में हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में रूस ने हस्ताक्षेप कर इन्हें प्रभावित किया है.


वहीं, ब्रिटेन में एक रूसी जासूस को लेकर भी यूरोप के कई देशों, अमेरिका और रूस के बीच ठनी हुई है. कथित रासायनिक केमिकल के इस्तेमाल से ब्रिटिश ज़मीन पर कथित हत्या के मामले में अमेरिका और रूस ने एक-दूसरे के खिलाफ करीब दर्जन भर बड़े कदम उठाए हैं. हालांकि, ट्रंप और पुतिन को अच्छा दोस्त माना जाता है लेकिन अमेरिका की घरेलू राजनीति के दबाव की वजह से ट्रंप को ये रूस विरोधी ये कदम उठाने पड़े हैं. ऐसे में ये देखने वाली बात होगी की पुतिन के लिए दोस्त की छवि रखने वाले ट्रंप का अमेरिकी प्रशासन ऐसी किसी डील के बाद भारत के खिलाफ क्या कदम उठाता है.


क्या है एस- 400 मिसाइल सिस्टम



एस 400 मौजूदा दौर का बेहतरीन मिसाइल डिफेंस सिस्टम है. ये अमेरिका के थाड मिसाइल सिस्टम से बेहद अधिक मारक क्षमता वाला है. ये जमीन से हवा में मार करने वाले सिस्टम से लैस है. रूस के अल्माज सेंट्रल डिजाइन ब्यूरो ने इसे विकसित किया है. ये S-300 सीरीज का एडवांस वर्जन है. इसकी रेंज 400 किलोमीटर और ऊंचाई 30 किलोमीटर की है. भारत के पास अभी ऐसी सिर्फ दो मिसाइलें बराक और आकाश हैं. दोनों की रेंज 100 किमी से ज्यादा नहीं है. ऐसे में एस 400 से ताकत भारत की ताकत में बहुत ज़्यादा इजाफा होगा. ये मिसाइल सिस्टम 5 मिनट में हमले के लिए तैयार हो जाता है. वहीं, ये एक साथ 100 टारगेट पर निशाना साध सकता है. चीन और पाकिस्तान जैसी चुनौतियों से निपटने में ये बेहद कारगर साबित हो सकता है.


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