नई दिल्ली: भारत के पड़ोसी देश चीन में जन्मा जानलेवा कोरोना वायरस अब वहां पड़ कमजोर रहा है. चीन के वुहान शहर से ही यह जानलेवा वायरस सबसे पहले पाया गया था, लेकिन अब इस वायरस की चपेट में दुनिया के 170 से ज्यादा देश हैं. चीन के बाद इटली, ईरान, फ्रांस और दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका में इस जानलेवा वायरस ने कहर बरपा रखा है. दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका समेत तमाम देश इस वायरस के लिए चीन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, लेकिन उसी चीन ने इस वायरस पर लगभग पूरी तरह से काबू पा लिया है. जिस समय देश के 170 देश इस वायरस की वजह से दहशत में हैं, ऐसे में सवाल पैदा होता है कि आखिर चीन ने ऐसा क्या किया, जिससे ये वायरस अब वहां धीरे-धीरे खत्म हो रहा है. जानिए.


अक्टूबर 2019 से ही चीन कोरोना वायरस के कहर से जूझने लगा था. कोरोना यानी कोविड-19 का पहला केस चीन के वुहान शहर से सामने आया था. इसके बाद वुहान में संक्रमित लोगों की संख्या हजारों में पहुंच गई. दिन पर दिन सैकड़ों लोगों की मौत होने लगी. दहशत का आलम ये था कि लोग अपने घरों में कैद हो गए और शहर में इमरजेंसी लागू कर दी गई. लेकिन अब इसी वुहान शहर में कोरोना वायरस लगभग खात्मे की ओर है.


चीन में संक्रमित मरीजों की संख्या में कमी आई


दो हफ्तों पहले अचानक चीन में कोरोना वायरस के मामलों में कमी आने लगी. अस्पतालों में बेड भी खाली होने लगे हैं. संक्रमित मरीज भी ठीक होकर घर लौटने लगे हैं. पिछले तीन से चार दिनों से चीन में कोरोना के मरीजों की संख्या में कमी दर्ज की गई है. हालांकि कुछ मामले अभी भी सामने आ रहे हैं, लेकिन स्थानीय लोगों के नहीं बल्कि विदेशी लोगों के. वर्तमान में कोरोना की कोई वैक्सीन तैयार नहीं होने के बावजूद चीन में संक्रमित मरीजों की संख्या में कमी आई.


दरअसल ये जानलेवा वायरस एक संक्रमित इंसान के दूसरों के संपर्क में आने पर फैलता है. चीन ने सबसे पहले इसी कड़ी को तोड़ा. चीन ने इस चेन को ब्रेक करने के लिए लोगों के घरों से बाहर निकलने पर रोक लगा दी, ताकि ये फैले नहीं. इसके बाद चीन के लाखों लोग अपने घरों में कैद हो गए. शहर के शहर लॉकडाउन कर दिए गए. यानी सड़के खाली, दुकानें बंद. कोई किसी के संपर्क में आए ही नहीं. भारत में भी सरकार अब यही कर रही है.


वायरस को हराने के लिए लॉकडाऊन बहुत जरूरी


हालांकि चीन के लिए ऐसा कदम उठाना कोई आसान बात नहीं थी. चीन में लॉकडाउन का विरोध करने वाले भी बहुत थे. कुछ लोगों ने इसे व्यक्तिगत अधिकार का उल्लंघन भी बताया, लेकिन कोरोना से बचने के उपाय के लिए ये बेहद जरूरी था. धीरे-धीरे संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ी तो चीन की जनता भी ये बात समझ गई कि अगर इस वायरस को हराना है तो लॉकडाऊन बहुत जरूरी है.


ऐसे किसी भी देश के इतिहास में पहली बार हुआ होगा कि उसने अपने नागरिकों को पूरी तरह से घरों में बंद कर दिया. सिर्फ इतना ही नहीं चीन ने कंपनियों, फैक्ट्रियों को भी बंद कर दिया और सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट पर भी बैन लगा दिया. चीन के इस कदम से वहां कोरोना वायरस के स्थानीय मामलों में कमी आनी शुरू हो गई और वायरस का फैलना अचानक से कम हो गया. इस तरह कोरोना से सबसे ज्यादा पीड़ित चीन ने अपने देश में लाखों और मामले बढ़ने से रोक लिए और लोगों की जान बचा ली.


वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, कोरोना संक्रमित एक व्यक्ति के संपर्क में आने से 2.6 लोग भी इससे संक्रमित हो सकते हैं. इसके प्रसार की 10 पीढ़ियों यानी संक्रमितों के संपर्क में आने के बाद 5-6 दिनों के भीतर ही ये वायरस एक दिन में 3500 लोगों में फैल जाता है.


वुहान से लगातार चौथे दिन नहीं आया कोरोना का कोई मामला


चीन में कोरोना वायरस के 81,054 मामले सामने आये जिसमें 3,261 लोगों की मौत भी शामिल हैं. इसमें से 72,244 लोग ठीक हो गये. देश में शनिवार से 46 नये मामलों और छह लोगों की मौत होने की जानकारी दी गई. देश के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग (एनएचसी) ने बताया कि चीन में कोरोना वायरस के 46 नये मामलों की पुष्टि हुई है. एनएचसी ने रविवार को कहा कि चीन में शनिवार को छह मौत हुई जिसमें से पांच मौत हुबेई प्रांत में हुई. स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि हालांकि कोरोना वायरस के केन्द्र वुहान से लगातार चौथे दिन इस वायरस का कोई मामला सामने नहीं आया है.


वुहान ने कोविड-19 के मुकाबले में सफलता पाई: WHO


विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक ट्रेडोस अदनोम गेब्रेयसस ने कहा कि वुहान ने कोविड-19 के मुकाबले में सफलता पाई है, जिससे दुनिया के अन्य क्षेत्रों के लिए आशा और साहस की शक्ति मिली है.वुहान से दुनिया के अन्य देशों को आशा की किरण नजर आई है कि सबसे गंभीर स्थिति को बदला जा सकता है, और साथ ही हमें सावधानी से काम करने की जरूरत है.


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