जानें क्या है अमेरिका का 'मैनहैटन प्रोजेक्ट', प्रेसिडेंट डॉनल्ड ट्रम्प खुद कर रहे हैं इसकी निगरानी
अमेरिका के पहले 'मैनहैटन प्रोजेक्ट' में न्यूक्लियर बम तैयार हुआ था. मगर आज का मैनहैटन प्रोजेक्ट है मानवता की रक्षा और अद्रश्य शत्रु पर हमला करने के लिए शुरू किया गया है.
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नई दिल्ली: कोरोनावायरस से लड़ाई में अमेरिका ने एक एक खुफिया प्रोजेक्ट शुरू किया है जिसका नाम "मैनहैटन प्रोजेक्ट" है. इसके तहत अमेरिका के करीब दर्जन भर बिलियनेयर्स कुछ चुनिंदा साइंटिस्टों के साथ मिलकर COVID19 कि दवा या वैक्सीन तैयार करने के शोध में लगे हैं. "मैनहैटन प्रोजेक्ट" के ही नाम से पहली बार अमेरिका ने न्यूक्लियर बम तैयार किया था जिसे हिरोशिमा पर गिराया गया था.
अमेरिकी प्रशासन कि मंजूरी से अमेरिका के करीब दर्जन भर बिलियनेयर्स ने कोविड19 की वैक्सीन या कोई दवा ढूंढ़ने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली है, और कुछ चुनिंदा साइंटिस्ट्स और डाक्टरों को शोध के काम पर लगाया गया है, जिसको पूरी तरह से अमेरिकी बिलियनेयर्स फाइनेंस कर रहे हैं है. इनके द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट अमेरिकी सरकार को सौंपी जाएगी जिसके आधार पर वो आगे कि रणनीति तय करेंगे.
आपको बता दें कि इस शोध से इन बिलियनेयर्स या साईन्टिस्ट्स में से कोई भी मुनाफा नहीं कमाएगा. अमेरिकी प्रशासन ने इसे "Operation Warp Seed" का नाम दिया है जिसके तहत जल्द से जल्द COVID19 के खिलाफ Vaccine कि खोज कर उसक इस्तेमाल शुरू किया जा सके.
इस शोध को अमेरिका के 33 वर्षीय डाक्टर, डॉ थॉमस काहिल लीड कर रहे हैं और सूत्रों के मुताबिक़ इस शोध के ज़रिए COVID19 के संभव इलाज के हर तरीके पर रिसर्च की जा रही है. सूत्रों के मुताबिक़ अब तक करीब 17 पन्नों कि रिपोर्ट तैयार की जा चुकी है जिसमें इबोला वाइरस के दौरान इस्तेमाल की गई दवा के बढ़े हुए डोज के इस्तेमाल की भी बात की गई है.
आपको बता दे "मैनहैटन प्रोजेक्ट" टर्म का इस्तेमाल पहली बार कब और किस संदर्भ में हुआ था. "मैनहैटन प्रोजेक्ट" अमेरिका, कनाडा और युनाइटेड किंगडम का वो साझा प्रोजेक्ट था जिसके तहत पहला न्यूक्लियर बम बनाया गया था और जिसे 6 अगस्त 1945 में जापान के हिरोशिमा पर गिराया गया था. दूसरे विश्व युद्ध के समय इससे संबंधित रिसर्च शुरू की गई थी और पहला न्यूक्लियर डिवाइस 16 जुलाई 1945 को डेटोनेट किया गया था. इस प्रोजेक्ट पर काम पहले अमेरिका के मैनहैटन में ही शुरू हुआ था फिर बाद मे इसका हेडक्वार्टर वाशिंगटन डीसी शिफ्ट कर दिया गया था.
अब देखना दिलचस्प होगा कि इस "मैनहैटन प्रोजेक्ट" में लगे बिलियनेयर्स और साइटिस्टों को सफलता मिलती है या नहीं. जानकार मानते हैं कि अभी इस बारे कुछ स्पष्ट नहीं कहा जा सकता लेकिन अगर ये लोग सफल होते हैं तो निश्चित ही बड़ी सफलता होगी.
इस Operation Warp Speed से अमेरिकी सरकार को उम्मीद है कि वो समय से पहले, अगले कुछ ही महीनों में COVID19 के खिलाफ दवा या वैक्सीन तैयार कर लोगों का इलाज शुरू कर सकेगी.
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