Kosovo Serbia Conflict: पूर्वी यूरोप में चल रहे यूक्रेन-रूस युद्ध के बादल अभी छटे भी नहीं हैं लेकिन टकराव का एक मोर्चा सुलगने लगा है. ऐसा लग रहा है कि महीनों से चल रहा यह टकराव नये साल में युद्ध में तब्दील हो जाएगा और इस मोर्चे पर रूस और नाटो देश एक दूसरे के सामने आ जाएंगे. 


आलम ऐसा है कि सर्बियाई के रक्षा मंत्री मिलोस वूसेविक ने सोमवार (26 दिसंबर) को अपनी सेनाओं को कभी भी युद्ध के लिए तैयार होने का हाईअलर्ट जारी कर दिया. तो वहीं 2008 में सर्बिया से स्वतंत्र हुए कोसोव ने भी पीछे नहीं हटने का फैसला कर लिया.


क्या है ताजा विवाद?
रविवार (25 दिसंबर) को दोनों देशों की सीमा पर कथित तौर पर फायरिंग हुई थी. कोसोव ने आरोप लगाया कि ये फायरिंग सर्बिया ने की, वहीं सर्बिया का कहना है कि ये फायरिंग कोसोव में तैनात केएफओआर (कोसोवो में नाटो के नेतृत्व वाली अंतरराष्ट्रीय शांति सेना) की तरफ से की गई है.


इस घटना ने पिछले 10 महीने से जारी  दोनों देशों के बीच तनाव को और भड़का दिया. केएफओआर ने कहा कि वह मामले की जांच कर रहा है. वहीं सर्बिया के प्रधानमंत्री एना ब्रनाबिक ने कहा कि यह दोनों देशों के बीच युद्ध कराने की साजिश है. 


तनाव के बीच क्या बोला नाटो?
कोसोवो और सर्बिया में जारी तनाव के बीच यूरोपियन यूनियन और नाटो ने दोनों पक्षों से पूरा संयम बरतने और शांति के लिए प्रयास करने को कहा. कासोव और सर्बिया सीमा पर नाटो के 3500 से अधिक सैनिक तैनात हैं.


क्यों बढ़ता है तनाव?
कोसोवो के नार्थ में रहने वाले करीब 50,000  नागरिक सर्ब इथिनिसिटी के हैं. ये अपनी जातीय पहचान के लिए सर्बियाई अधिकारियों द्वारा जारी लाइसेंस प्लेट और दस्तावेजों का उपयोग करते हैं. साथ ही नियमों और प्रावधानों को लागू करने के कोसोवो के अधिकार को भी मान्यता नहीं देते. यह तनाव की एक फाल्ट लाइन है जिसमें तनाव बढ़ने पर रिश्तों में अक्सर पारा चढ़ जाता है.


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