ICJ में जाधव मामले में दलील की बजाय डोभाल, कश्मीर और कठुआ रेप केस का जिक्र करता रहा पाक, अब फैसले की बारी
पाकिस्तानी एटॉर्नी जनरल के ताज़ा पैंतरे ने इस बात के संकेत दे दिए हैं कि आईसीजे से जाधव के फांसी की सजा पर मुहर लगाने वाले किसी फैसले की उम्मीद उसे भी नहीं है. यही वजह है कि उसके कुलभूषण के खिलाफ नया मुकदमा चलाने की बात पहले ही स्वीकार कर ली है.
द हेग (नीदरलैंड्स): इंटरनेशनल कोर्ट में कुलभूषण जाधव को लेकर चली चार दिनी सुनवाई गुरुवार को खत्म हो गई. सुनवाई के आख़िरी दिन पाकिस्तान को भारत की दलीलों पर जवाब देने का मौका दिया गया था. हालांकि पाकिस्तानी नुमाईंदों ने इसका इस्तेमाल कानूनी तर्कों को रखने के साथ-साथ भारत पर कीचड़ उछालने के लिए किया.
पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल अनवर मंसूर खान ने कुलभूषण मामले की सुनवाई के दौरान भी कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन से लेकर कथित कठुआ रेपकांड और समझौता एक्सप्रेस हादसे से लेकर 2002 के गुजरात दंगों को गिनाने का मौका निकाल लिया. इतना ही नहीं पुलवामा आतंकी हमले के घावों पर नमक मलते हुए खान ने कहा कि भारत सबूत पाकिस्तान को देने की बजाए खुद ही वादी, वकील और जज बन गया है.
निकाला बचाव का गलियारा अदालत के आगे खान ने यह भी बताने का प्रयास किया कि सैन्य अदालत में सुनवाई के दौरान खुद कुलभूषण जाधव ने ही बाहरी वकील के बजाए सैन्य अधिकारी को अपना वकील चुना था. पाक एटॉर्नी जनरल के मुताबिक, जाधव के खिलाफ आतंकवाद के मामले की एक एफआईआर पर सुनवाई बाकी है. ऐसे में जब उसपर सिविल कोर्ट में मुकदमा चलेगा तो उसे अपना वकील चुनने का अधिकार होगा. पाक अटॉर्नी जनरल के मुताबिक, जाधव को सैन्य अदालत ने ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट में सज़ा सुनाई है.
पाकिस्तानी एटॉर्नी जनरल के ताज़ा पैंतरे ने इस बात के संकेत दे दिए हैं कि आईसीजे से जाधव के फांसी की सजा पर मुहर लगाने वाले किसी फैसले की उम्मीद उसे भी नहीं है. यही वजह है कि उसके कुलभूषण के खिलाफ नया मुकदमा चलाने की बात पहले ही स्वीकार कर ली है जिसमें उसके पास वकील चुनने का अधिकार होगा.
इससे पहले करीब डेढ़ घंटे की तकरीर में पाकिस्तान के वकील खावर कुरैशी का सुर आखिरी दिन कुछ नरम था. उन्होंने 19 फ़रवरी की सुनवाई के दौरान अपनी भाषा के लिए अदालत से खेद जताते हुए उसे अपने तर्कों की मज़बूरी करार दिया.
महत्वपूर्ण है कि 20 फरवरी को अपने सबमिशन में भारत ने कुरैशी की भाषा और भारतीय पदाधिकारियों पर की गई टिप्पणियों पर एतराज़ दर्ज कराया था. हालांकि कुरैशी भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को लेकर अदालत में ओछी टिप्पणी करने से बाज़ नहीं आए. अपनी जिरह के दौरान दिए प्रेजेंटेशन में कुरैशी ने न केवल फिर से अजीत डोभाल की तस्वीर वाली स्लाइड दिखाई. इतना ही नहीं तंज कसते हुए कुरैशी ने कहा की डोभाल खुद को सुपर जासूस समझते हैं और लंदन आने पर उन्हें जेम्स बांड की फिल्मों के लिए आवेदन करना चाहिए.
अंतरराष्ट्रीय अदालत में #कुलभूषण_जाधव मामले पर चल रही सुनवाई के दौरान पाकिस्तानी वकील खावर कुरैशी ने एक बार फिर भारतीय एनएसए अजीत डोवल की तस्वीर दिखाकर तंज कसा।कहा, डोवल भारत के स्वयंभू सुपर जासूस हैं।अगर वो लंदन आते हैं तो जेम्स बांड के रोल के लिए आवेदन कर सकते हैं।@abpnewshindi pic.twitter.com/9lJ3Fijv3e
— Pranay Upadhyaya (@JournoPranay) February 21, 2019
कॉन्सुलर सम्पर्क पर अब भी कन्नी काट रहा पाक कुलभूषण जाधव के लिए कॉन्सुलर सम्पर्क की इजाजत न दिए जाने के फैसले को जायज बताते हुए पाकिस्तान ने एक बार फिर उसके खिलाफ जासूसी के आरोप और 2008 के सामझौते का हवाला दिया बल्कि आरोप लगाया कि भारत द्विपक्षीय सामझौते को तोड़-मरोड़ रहा है. लिहाज़ा भारत की तरफ से मांगी गई राहत की अपील को खारिज किया जाए.
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हालांकि दुनिया की सबसे ऊंची अदालत कहलाने वाली इंटरनेशनल कोर्ट दावों और नारों के बजाए कानूनी दलीलों का दम देखने के बाद फैसला करती है. लिहाज़ा अदालत सुनवाई पूरी होने से पहले बेंच के अध्यक्ष अब्दुलकवी यूसुफ ने कहा कि फैसले से पहले अदालत दोनों तरर्फ आए रखी गई दलीलों पर विचार करेगी.
इस दौरान दोनों पक्षों के एजेंट यानी भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारी दीपक मित्तल और पाकिस्तानी अटॉर्नी जनरल मंसूर अनवर खान अदालत के किसी स्पष्टीकरण के लिए अपने को उपलब्ध रखें.
अभी फैसला आने में लगेंगे 6 महीने आईसीजे सूत्रों के मुताबिक अदालत से फैसला आने में आम तौर पर करीब 6 महीने का समय लग सकता है. आईसीजे अधिकारियों के मुताबिक फैसला खुली अदालत में सुनाया जाएगा. साथ ही मीडिया को भी इस दौरान उपस्थित रहने की इजाजत होगी.
फैसले की समीक्षा का रास्ता है मुश्किल अदालत के फैसले के बाद दोनों पक्ष में से कोई भी निर्णय की व्याख्या के लिए आवेदन कर सकता है. मगर आईसीजे से फैसले की समीक्षा करवाना टेढी खीर है. आईसीजे अधिकारियों के मुताबिक अदालत के इतिहास में फैसले की समीक्षा का कोई इतिहास नहीं है. आईसीजे से फैसले की समीक्षा की मांग करना बहुत मुश्किल है.