Diabetes Patients: द लैंसेट के रिसर्च पेपर में प्रकाशित नए अनुमान के अनुसार 2050 तक दुनिया भर में डायबिटीज से पीड़ित लोगों की संख्या दोगुनी हो जाएगी. नए अनुमान बताते हैं कि 2050 तक दुनिया भर में कम से कम 1.3 अरब लोग डायबिटीज के शिकार होंगे. साल 2021 डायबिटीज मरीजों की संख्या 529 मिलियन है, जो आने वाले 27 सालों में दोगुने हो जाएंगे.
इसी बीच रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आने वाले 30 सालों में किसी भी देश के डायबिटीज बीमारी की दर में कमी की उम्मीद नहीं है. डेटा को विशेषज्ञों ने चिंताजनक बताते हुए कहा कि डायबिटीज ग्लोबल लेवल पर अधिकांश बीमारियों को पीछे छोड़ रहा है, जो लोगों और हेल्थ सिस्टम के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है.
सबसे बड़े पब्लिक हेल्थ खतरों में से एक
डॉ. शिवानी अग्रवाल का कहना है कि डायबिटीज हमारे समय के सबसे बड़े पब्लिक हेल्थ खतरों में से एक है. आने वाले 30 सालों में हर देश, आयु वर्ग के लोगों में बढ़ेगा. ये दुनिया भर में हेल्थ सिस्टम के लिए एक गंभीर चुनौती बन जाएगा. पिछले हफ्ते जारी एक अन्य लैंसेट पेपर के अनुसार भारत में कई अन्य देशों की मुकाबले में Non-Communicable बीमारियों की संख्या बहुत ज्यादा है.
भारत देश में 101 मिलियन लोगों को डायबिटीज है. 136 मिलियन लोग प्री डायबिटिक हैं. इस अनुमान से अंदाजा लगाया जा सकता है कि 2045 तक डायबिटीज से पीड़ित तीन-चौथाई से अधिक एडल्ट Low and Low Middle Income Countries (LMIC) में रहेंगे, जिनमें से 10 में से 1 से भी कम को देखभाल और इलाज की सुविधा मिलेगी.
2050 तक विश्व की जनसंख्या लगभग 9.8 बिलियन
संयुक्त राष्ट्र ने भी भविष्यवाणी की है कि 2050 तक विश्व की जनसंख्या लगभग 9.8 बिलियन हो जाएगी. इससे पता चलता है कि तब तक सात में से एक व्यक्ति डायबिटीज के साथ जी रहा होगा. विस्कॉन्सिन मेडिकल कॉलेज के सह-लेखक लियोनार्ड एगेडे ने कहा कि आवासीय अलगाव जैसी नस्लवादी नीतियां लोगों के रहने के स्थान, स्वस्थ भोजन और स्वास्थ्य सेवाओं तक उनकी पहुंच को प्रभावित करती हैं. इन सब में बढ़ती डायबिटीज असमानता के कारण काले, हिस्पैनिक और स्वदेशी लोगों सहित नस्लीय और जातीय समूहों के लोगों के लिए देखभाल में अंतर पैदा हो जाता है.