मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड आजम चीमा की पाकिस्तान में मौत, लश्कर का इंटेलिजेंस चीफ था
Pakistani Terrorist Death: मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड आतंकी आजम चीमा की पाकिस्तान में मौत की खबर है. चीमा 2006 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट का मास्टरमाइंड था.
Pakistani Terrorist Death: आतंकी आजम चीमा की पाकिस्तान में मौत की खबर है. चीमा 2006 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट का मास्टरमाइंड था. बताया जा रहा है 70 साल की उम्र में चीमा को फैसलाबाद में दिल का दौरा पड़ा. इसके बाद उसकी मौत हो गई. आजम चीमा लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का इंटेलिजेंस चीफ था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीमा का अंतिम संस्कार फैसलाबाद के मलखानवाला में किया गया.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आजम चीमा 26/11 के मुंबई आतंकी हमलों का मुख्य साजिशकर्ता था और 2006 में मुंबई में हुए ट्रेन बम धमाकों का मास्टरमाइंड था. ट्रेन में हुए बम धमाकों में 188 लोग मारे गए थे और 800 से ज्यादा लोग घायल हुए थे.
शाम को ट्रेन में हुए थे बम धमाके
11 जुलाई 2006 को मुंबई वेस्टर्न के सबर्बन इलाके में लोकल ट्रेन के सात डिब्बों में सिलसिलेवार तरीके से बम धमाके हुए थे. यह धमाके तब हुए जब मुंबई की आम पब्लिक काम करके अपने घरों को लौट रही थी. धमाके शाम 6 बजकर 24 मिनट पर शुरू हुए और 6 बजकर 35 मिनट पर बंद हुए. इस दौरान ट्रेन में हाहाकार मच गया था, क्योंकि शाम के वक्त मुंबई की लोकल ट्रेनों ज्यादा भीड़ होती है. इस हमले में पुलिस ने 30 लोगों को आरोपी बनाया था, जिसमें से 13 लोगों की पहचान पाकिस्तानी नागरिकों के तौर पर की गई थी.
समुद्र के रास्ते से आए थे आतंकी
अमेरिकी सरकार के मुताबिक 2008 के हमलों को अंजाम देने वाले आतंकवादियों को आजम चीमा ने ट्रेनिंग दी थी. इस हमले में 6 अमेरिकियों सहित कुल 166 लोगों की मौत हुई थी. इस हमले में कुछ ब्रिटेन के नागरिकों की भी मौत हुई थी. 26 नवंबर 2008 को 10 पाकिस्तानी आतंकवादी समुद्री रास्ते से दक्षिण मुंबई इलाके में दाखिल हुए, इनके पास भारी मात्रा में हथियार थे. सभी आतंकी कई इलाकों में बंट गए और ताज महल पैलेस होटल समेत कई जगहों पर हमला किए.
26 नवंबर 2008 को मुंबई में घुसे आतंकवादियों में से दो आतंकियों ने दक्षिणी मुंबई के कोलाबा स्थित लियोपोल्ड कैफे को निशाना बनाया था. दो आतंकियों ने नरीमन हाउस और बाकी आतंकी दो-दो की टोली में छत्रपति शिवाजी टर्मिनस और ताज होटल में घुसकर हमला किए थे. भारत सरकार ने इन आतंकियों से निपटने के लिए तत्काल 200 एनएसजी कमांडो भेजे और सेना के भी 50 कमांडो मौके पर पहुंचे. इसके बाद बचाव अभियान जारी हुआ. इस दौरान सेना की पांच टुकड़ियों को भी मौके पर तैनात किया गया था.
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