Israel-Hamas War: मौजूदा समय में इजरायल और हमास के लड़ाके गाजा पट्टी में आमने-सामने हैं. खुफिया सूत्रों के मुताबिक गाजा में अपने संभावित लक्ष्यों की पहचान करने के लिए इजरायली सेना की ओर से लैवेंडर नामक एक एआई सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है. आपको जानकार हैरानी होगी कि इस एआई सिस्टम ने एक बार में करीब 37,000 फिलिस्तीनियों की हमास के साथ संभावित संबंधों के बारे में पुष्टि की थी. 


इजराइल का कहना है कि लैवेंडर ने हमारे लक्ष्य को आसान बनाने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. यही नहीं उनका कहना है कि एआई सिस्टम की वजह से वह संदिग्ध व्यक्तियों की आतंकवादी समूहों के साथ संबंधों का तेजी से पता लगाने में कामयाब हुए थे. 


द गार्जियन में बताया गया है कि लैवेंडर की ओर से आतंकियों की पहचान होने के बाद इजरायली अधिकारियों ने बड़ी संख्या में उन्हें मौत के घाट उतारा था. खासकर यह प्रक्रिया युद्ध के शुरुआती महीनों में देखने को मिली थी.  


लैवेंडर को इजराइल की विशिष्ट यूनिट 8200 खुफिया प्रभाग द्वारा तैयार किया गया था. यह खुफिया विभाग ब्रिटेन की जीसीएचक्यू और अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के बराबर अहमियत रखती है. 


द गार्जियन ने खुफिया सूत्रों के हवाले से लिखा है कि शुरुआती समय में हमास के लड़ाकों को निशाना बनाते हुए करीब 15 या 20 लोगों को मारने की अनुमति दी गई थी. उनके ठिकानों पर बिना किसी गाइड वाले हथियारों से हमले किए जाते थे, जिसे 'गूंगा बम' कहा जाता था.


द गार्जियन के साथ हुई खास बातचीत के दौरान एक इजराइली अधिकारी ने कहा कि मेरी नजर में यह अद्वितीय था. युद्ध में इस मशीन ने बड़ी सहजता से काम किया. इससे काम को अंजाम देने में काफी आसानी रही. 


एक अन्य अधिकारी ने बातचीत के दौरान कहा कि आप आम लोगों के क्षेत्रों में अपने महंगे बम बर्बाद नहीं करना चाहेंगे. ये विस्फोटक पदार्थ काफी महंगे होते हैं. मौजूदा समय में इनकी कमी भी है.


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