Lebanon Economic Crisis: मध्य-पूर्व का 'पेरिस' कहा जाने वाला लेबनान भी आज दुनिया के कई देशों की तरह आर्थिक बदहाली का शिकार है. देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति धीरे-धीरे बेहद ही खराब होती जा रही है. करेंसी (Lebanon Currency) की कीमत में भारी गिरावट दर्ज की गई है. देश की मुद्रा की कीमत 90 फीसदी तक नीचे गिर गयी है. महंगाई आसमान (Lebanon Inflation) छू रही है और लोगों की परेशानी और बढ़ती जा रही है.
लेबनान में संकट (Lebanon Economic Crisis) गहराने के पीछे की बड़ी वजह देश में कई सालों से पनप रहे भ्रष्टाचार और आर्थिक कुप्रबंधन को माना जा रहा है.
क्यों बर्बादी की कगार पर है लेबनान?
लेबनान में पिछले कुछ सालों में भ्रष्टाचार काफी बढ़ा है और सरकार आर्थिक मैनेजमेंट की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं कर पाई. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लेबनान की ज्यादातर जनता मौजूदा वक्त में भीषण गरीबी की चपेट में है. लेबनान में सिर्फ अर्थव्यवस्था की स्थिति ही नहीं बिगड़ी है, बल्कि राजनातिक व्यवस्था भी पूरी तरह से चरमराती नजर आती है. सियासी दलों के बीच गतिरोध इतना अधिक है कि कार्यवाहक राष्ट्रपति से ही सरकार चल रही है.
कभी कहलाता था मध्य-पूर्व का 'पेरिस'
लेबनान की राजधानी बेरूत को पहले काफी विकसित शहर माना जाता था. बताया जाता है कि बेरूत एक वक्त में इतना अधिक एलीट (संभ्रांत वर्ग वाला) और सुंदर शहर था कि उसे लोग मध्य-पूर्व का 'पेरिस' कहते थे. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 1960 के दशक में बेरूत की सड़कें काफी विकसित थीं. एक समय में इस शहर की सुंदर और चौड़ी सड़क पर लोगों की भीड़ जमा रहती थी लेकिन 1970 के दशक में गृह-युद्ध का दौर शुरू हुआ जिसने देश को बर्बाद करना शुरू कर दिया.
कैसे शुरू हुआ बदहाली का दौर?
लेबनान (Lebanon) की सत्ता पर नियंत्रण बनाने के लिए मुस्लिम और ईसाई समुदायों के बीच संघर्ष छिड़ गया. इस जंग में इजरायल और सीरिया ने भी हिस्सा लिया. हजारों की संख्या में लोग मारे गए और लेबनान के कई इलाके तबाह हो गए. संघर्ष खत्म होने के बाद गृह युद्ध में लड़ने वाले लोग ही नेता बन गए और सत्ता पर कब्जा जमाया. संसाधनों की बंदरबांट होने लगी और इसके बाद लेबनान में आर्थिक बदहाली (Lebanon Economic Crisis) का दौर भी शुरू हो गया.
साल 2020 में लेबनान के बेरूत बंदरगाह के गोदामों में रखे भारी मात्रा में अमोनियम नाइट्रेट में विस्फोट होने के बाद शहर तहस नहस हो गया था. इसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे.
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