इजरायल के सबसे बड़े दुश्मनों में से एक लेबनान में पेजर में धमाके हुए हैं. इसमें कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई है, जिनमें लेबनान के सांसद का बेटा भी है. हमले में 3000 से भी ज्यादा लोग घायल हुए हैं. घायलों में ईरान में लेबनान के राजदूत भी हैं और लेबनान के सांसद भी जिनकी एक आंख चली गई है. इसके अलावा लेबनान के वो हेजबुल्लाह लड़ाके भी इस हमले में गंभीर रूप से घायल हुए हैं, जो इजरायल के खिलाफ जंग लड़ते रहते हैं.
ऐसे में इन धमाकों का सीधा आरोप इजरायल और उसकी खुफिया एजेंसी मोसाद पर लगा है, जो इस तरीके के ब्लास्ट करवाने में माहिर है. तो क्या सच में ये धमाके मोसाद ने ही करवाए हैं, आखिर मोसाद ने ऐसी कौन सी तकनीक का इस्तेमाल किया है कि उसने लेबनान के पेजर तक हैक कर लिए हैं और आखिर ये पेजर होता क्या है, जिसके जरिए इतने बड़े धमाके को अंजाम दिया गया है, आइए जानते हैं-
क्या होता है पेजर?
आपको अल्लू अर्जुन वाली पु्ष्पा फिल्म तो याद ही होगी. उसमें एक सीन है, जब पुष्पा शीनू के घर जाता है और चंदन की लकड़ी बेचने की डील करता है. इस दौरान वो शीनू के ही मोबाइल से चंदन की लकड़ी के सबसे बड़े खरीदार मुर्गन को फोन करता है और कहता है कि वो सिडिंकेट मेंबर है और अब वो शीनू को माल नहीं बेचेगा, सीधे चेन्नई आकर मुर्गन से बात करेगा. इस बातचीत में ही पुष्पा कहता है कि मेरे पेजर का नंबर लिख लो...8384... ये वही पेजर है, जिसका इस्तेमाल मोबाइल फोन आने से पहले किया जाता था. इसके जरिए सिर्फ मैसेज भेजे और रिसीव किए जाते थे. रेडियो सिग्नल का इस्तेमाल करके सारे मैसेज ट्रांसमिट होते थे, लेकिन जब मोबाइल आया तो उससे न सिर्फ बात होने लगी बल्कि मैसेज भी आने-जाने लगे. अब तो मैसेज भेजने के लिए वॉट्स ऐप से लेकर टेलीग्राम और मैसेंजर से लेकर इंस्टाग्राम तक दुनिया भर के ऐप हैं. फिर भी लेबनान और सीरिया में लोग अब तक पेजर का इस्तेमाल करते थे, तो इसे जानकर थोड़ी हैरत तो होती ही है.
बिना नेटवर्क के भी काम करता है पेजर
अगर आपको मैं ये बताउं कि पेजर बिना मोबाइल नेटवर्क के भी काम करता है, तो आपकी हैरत शायद थोड़ी कम हो. जिन इलाकों में आज भी मोबाइल का नेटवर्क नहीं है, वहां पेजर काम करता है और इसी के जरिए मैसेज भेजे भी जा सकते हैं और रिसीव भी किए जा सकते हैं. लिहाजा इजरायल से लड़ने वाले लेबनान के हेजबुल्लाह लड़ाकों को लड़ाई के दौरान ऐसे इलाकों में भी जाना होता है, जहां नेटवर्क नहीं होता है. ऐसे में वो पेजर का इस्तेमाल करते हैं. बाकी पिछले साल 7 अक्टूबर को हमास और हेजबुल्लाह के इजरायल पर हमले के तुरंत बाद ही हेजबुल्लाह ने अपने लड़ाकों को मोबाइल फोन इस्तेमाल करने से रोक दिया था. इसकी वजह ये थी कि मोबाइल फोन से कम्युनिकेशन के दौरान लोकेशन ट्रैक हो सकती है, जिसकी कोशिश इजरायल की सेना आईडीएफ और इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद करती रही है. हेजबुल्लाह की लोकेशन की ट्रैकिंग के दौरान ही मोसाद को इस बात का पता चल गया था कि अब हेजबुल्लाह के लड़ाके मोबाइल फोन नहीं बल्कि पेजर का इस्तेमाल कर रहे हैं.
कब से प्लानिंग कर रहा था मोसाद?
ऐसे में मोसाद ने अपने हमले का तरीका बदला. दुनिया भर की जो मशहूर न्यूज एजेंसियां हैं जैसे कि रॉयटर्स, अल-जजीरा और न्यूयॉर्क टाइम्स उन्होंने दावा किया है कि ताइवान में बने पेजर की 500 की जो खेप लेबनान जानी थी, मोसाद ने वहां तक अपनी पहुंच बनाई. फिर पेजर की बैट्री पर ऐसे बम फिट कर दिए, जो किसी भी स्कैनर में स्कैन नहीं हो सकते थे. जब मोसाद इस बात को लेकर आश्वस्त हो गया कि पेजर की ये खेप लेबनान तक पहुंच गई है और इसका इस्तेमाल हेजबुल्लाह के लड़ाके करने लगे हैं तो उसने 17 सितंबर को इन पेजर को हैक करके एक मैसेज भेजा, जिसके जरिए विस्फोटक एक्टिवेट हो गए और फिर लेबनान की राजधानी बेरूत और हेजबुल्लाह का गढ़ माने जाने वाली पूर्वी बेका वैली में ऐसी तबाही मची, जिसने मोसाद के खौफ को और भी पुख्ता कर दिया.
ताइवान की कंपनी पर क्यों उठ रहे सवाल?
बाकी ब्लास्ट ताइवान के बनाए पेजर में हुआ है, तो सवाल ताइवान और उसकी कंपनी गोल्ड अपोलो पर भी उठ रहे हैं, जिसके बनाए पेजर में ब्लास्ट हुए. ताइवान की कंपनी गोल्ड अपोलो के चेयरमैन सु चिंग कुआंग का दावा है कि जिन पेजर में ब्लास्ट हुए हैं, उनपर नाम भले ही उनकी कंपनी का है, लेकिन इनको बनाया एक यूरोपियन कंपनी ने है, जिनसे उनकी कंपनी गोल्ड अपोलो की पार्टनरशिप है. वैसे हमला लेबनान पर हुआ है, तो नाम तो अमेरिका का भी आना तय है और तभी अमेरिका ने खुद से ये बात कह दी है कि इस हमले से उसका कोई लेना-देना नहीं है.
अब क्या करेगा हेजबुल्लाह?
अब दुनिया भर की नजर हेजबुल्लाह पर है क्योंकि हमला उसके घर में हुआ है. उसके कई लड़ाके घायल हैं. कई टॉप अधिकारियों के बेटे भी मारे गए हैं, तो हेजबुल्लाह ने इजरायल और मोसाद को इस हमले का अंजाम भुगतने की चेतावनी दी है. तो क्या इजरायल को एक और बड़े हमले के लिए तैयार रहना चाहिए और उससे भी बड़ा सवाल कि क्या वाकई इजरायल एक और हमले के लिए तैयार है, क्योंकि अभी पिछले दिनों यमन के हूतियों ने जो मिसाइल अटैक किया था वो इजरायल के आयरन डोम को चकमा देता हुआ तेल अवीव तक पहुंच गया था. अगर हेजबुल्लाह ने भी वैसा ही हमला किया और इसमें ईरान ने हेजबुल्लाह का साथ दे दिया तो फिर इजरायल के लिए एक बड़ी मुसीबत तय है.
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