अमेरिका के भारतीय मूल के सांसदों ने बाइडेन सरकार से कहा है कि मानवाधिकार से जुड़े मुद्दों पर भारत से बात करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत सरकार के सामने इन मुद्दों को उठाएं. सांसदों ने भारत में प्रेस की आजादी का मुद्दा भी उठाया और कहा कि इस मामले में क्या हो रहा है सरकार को देखना चाहिए.


भारतीय मूल के सांसदों ने यह भी कहा कि ह्यूमन राइट्स से जुड़े मामलों में नई दिल्ली को उपदेश देने से कुछ नहीं होगा, बल्कि भारतीय नेतृत्व के साथ बात करने की जरूरत है. भारतीय अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने गुरुवार (15 मई) को डेमोक्रेटिक थिंक-टैंक ‘इंडियन अमेरिकन इम्पैक्ट’ के ‘देसी डिसाइड्स’ सम्मेलन में भारतीय अमेरिकी समुदाय के लोगों से कहा, 'भारत 100 से ज्यादा सालों  तक गुलाम रहा, इसलिए जब हम मानवाधिकारों के बारे में बात करते हैं, जब आप विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर या किसी अन्य के साथ बातचीत करते हैं, तो आपको यह समझना होगा कि यह केवल भारत को उपदेश देने की तरह लगता है.'


रो खन्ना ने कहा, 'मुझे लगता है कि (भारत के साथ) यह बातचीत करना अधिक रचनात्मक नजरिया होगा कि यहां हमारे लोकतंत्र में क्या खामियां हैं, आपके लोकतंत्र में क्या खामियां हैं और हम सामूहिक रूप से लोकतंत्र और मानवाधिकारों को कैसे आगे बढ़ा सकते हैं.'


कांग्रेशनल इंडिया कॉकस के सह अध्यक्ष रो खन्ना के साथ इस संवाद में भारतीय अमेरिकी सांसद श्री थानेदार, प्रमिला जयपाल और डॉ. एमी बेरा भी शामिल हुए. इसका संचालन एबीसी की राष्ट्रीय संवाददाता जोहरीन शाह ने किया. जोहरीन शाह ने भारतीय अमेरिकी सांसदों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुस्लिम समुदाय से संबंधों को लेकर सवाल किया.


एमी बेरा ने रो खन्ना की बात से सहमति जताते हुए कहा, 'मैंने भी (भारतीय) विदेश मंत्री से यही कहा है. यदि भारत धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान खो देता है तो शेष विश्व के इसे देखते के तरीके में बदलाव आ सकता है.' उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा जरूरी नहीं है कि अमेरिका में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का राष्ट्रपति रहना भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में रहने जैसा ही हो.


उन्होंने कहा, 'क्योंकि हमारे यहां अब भी एक जीवंत लोकतंत्र है. डेमोक्रेटिक पार्टी के रूप में हमारे पास एक जीवंत विपक्षी दल है. हम अब भी प्रेस की स्वतंत्रता में विश्वास करते हैं और ये सभी चीजें हैं जो मुझे भारत के भविष्य को लेकर चिंतित करती हैं.'


एमी बेरा ने कहा, 'आप देखिए कि प्रेस की स्वतंत्रता के मामले में क्या हो रहा है. आप दरअसल कोई व्यवहार्य विपक्षी दल नहीं देख रहे या कहें तो इसे समाप्त किया जा रहा है. जीवंत लोकतंत्र में ये सभी चीजें होनी चाहिए- बोलने की आजादी, प्रेस की आजादी.... मुझे उम्मीद है कि आपको कभी ट्रंप का दूसरा कार्यकाल नहीं देखना पड़े, लेकिन अगर ऐसा हो भी जाए तो भी आप देखेंगे कि हमारा लोकतंत्र बचा रहेगा. मैं निश्चित रूप से आशा करता हूं कि भारत का लोकतंत्र भी बचा रहे.'


प्रमिला जयपाल ने कहा कि वह बेरा और खन्ना दोनों से सहमत हैं. उन्होंने कहा, 'मैं केवल एक चीज जोड़ना चाहती हूं कि मुझे लगता है कि हमें अपने देश की खामियों और किसी अन्य देश की खामियों की आलोचना करने में सक्षम होना चाहिए. यह संसद का असल काम है. हमें उपदेश नहीं देना चाहिए, 'मैं रो (खन्ना) से सहमत हूं. हमें अमेरिका के सभी हितों के बारे में सोचना होगा. निश्चित रूप से आर्थिक पहलू अहम है. भारत हमारा एक महत्वपूर्ण भागीदार है. क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर बदलते परिदृश्य के कारण भी वह एक महत्वपूर्ण भागीदार है.'


सांसद थानेदार ने कहा कि वह भारत-अमेरिका के बीच मजबूत रिश्ते के पक्षधर हैं. उन्होंने कहा, 'हमें अमेरिका और भारत के बीच मजबूत रिश्तों की जरूरत है.' थानेदार ने कहा, 'अमेरिका को भारत की शक्ति, उसकी आर्थिक शक्ति को पहचानना होगा और चीन की आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए भारत ही सबसे अच्छा समाधान है. इसलिए मैं मजबूत भारत-अमेरिका संबंधों पर काम कर रहा हूं.'


यह भी पढ़ें:-
कुछ साल बाद चीन से दोगुनी हो जाएगी भारत की पावर, फिर भी एक सदी तक चलेगा नंबर वन का खेल