नई दिल्ली: अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर की कोरोना वैक्सीन को खरीदने में कई कम विकसित देश सक्षम नहीं हैं. खासकर ये देश अमेरिकी प्रायद्वीप के कम विकसित देश हैं. इस बात की जानकारी डब्ल्यूएचओ के क्षेत्रीय कार्यालय ने है. डब्ल्यूएचओ के क्षेत्रीय कार्यालय ने बुधवार को कहा कि फाइजर द्वारा विकसित वैक्सीन को -70 डिग्री तापमान पर स्टोर करना होगा, जो कम विकसित के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. कोल्ड स्टोरेज की क्षमता नहीं रखने वाले देशों में ट्रांसपोर्ट करना काफी चुनौतीपूर्ण है.


बता दें कि फाइजर और बायोएनटेक द्वारा कोविड-19 वैक्सीन के 90 फीसदी सफल होने की बात कही गई है. 12 लाख से ज्यादा लोगों की मौत का कारण बने वायरस से जूझ रही दुनिया के लिए यह बड़ी अच्छी खबर है, लेकिन टीका बन जाने के बाद भी मुश्किलें कम नहीं हुई हैं. भंडारण वितरण और टीकाकरण को लेकर काफी चुनौतियां हैं.


उचित आवंटन हो- WHO


फाइजर और बायोएनटेक द्वारा उनके कोविड-19 वैक्सीन के 90 फीसदी सफल होने की बात कहने के बाद डब्लूएचओ के महानिदेशक ट्रेडोस एडहोम घेब्रेयेसिस ने वैक्सीन के 'उचित आवंटन' का आह्वान किया है. डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने मंगलवार को 73वीं विश्व स्वास्थ्य महासभा में कहा कि संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी फाइजर की इस आशाजनक खबर का स्वागत करती है और उम्मीद करती है कि जल्द ही दुनिया को प्रभावी टीके मिलेंगे. उन्होंने आगे कहा, "मैं सदस्य देशों से फिर से कोविड वैक्सीन के उचित आवंटन के लिए प्रतिबद्ध रहने की बात दोहराता हूं. हमें किसी भी देश को पीछे नहीं छोड़ना चाहिए."


वर्तमान अनुमानों के आधार पर, फाइजर और बायोएनटेक इस साल विश्व स्तर पर 5 करोड़ वैक्सीन डोज और 2021 तक 1.3 अरब डोज तक का उत्पादन करेंगी.


इस मौके पर डब्ल्यूएचओ के अफ्रीका के क्षेत्रीय निदेशक मत्स्यदिसो मोएटी ने कहा, मोईटी ने कहा, "एक संभावित प्रभावी टीका उपलब्ध होने की खबर रोमांचक है, लेकिन अफ्रीकी देशों को इसे रखने के लिए जरूरी कोल्ड चेन को लेकर चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. इसे लेकर उसे सहायता देनी होगी."


सोमवार को विश्व स्वास्थ्य महासभा में अपने शुरुआती भाषण में डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा था कि महामारी को नियंत्रित करने के लिए एक टीके की तत्काल जरूरत है, लेकिन हमें यह देखना होगा कि गरीबी, भूख, जलवायु परिवर्तन या असमानता को मिटाने के लिए कोई टीका नहीं है.