नई दिल्ली: एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के बारे में एक किताब में बड़ा दावा किया गया है. इस किताब में दावा किया गया है कि अपने शुरुआती दिनों में स्पेसएक्स कंपनी के फाउंडर एलन मस्क ने इंजीनियरों को एक द्वीप पर भूखा छोड़ दिया था. इसका कर्मचारियों ने विद्रोह भी किया था.
आर्स टेक्निका के स्पेस एडिटर एरिक बर्गर ने अपनी किताब 'लिफ्ट ऑफ' में स्पेसएक्स के शुरुआती दिनों के कई किस्से बताए हैं. इसी किताब में दावा किया गया है कि शुरुआती दिनों में स्पेसएक्स के इंजीनियर प्रशांत महासागर में मौजूद एक द्वीप, जिसका नाम ओमेलेक है, पर रहते थे. यहां पर इंजीनियर लॉन्चपैड और फॉल्कन-1 रॉकेट के लिए सेटअप तैयार कर रहे थे. कई बार ऐसी स्थिति आई कि ओमेलेक पर खाना खत्म हो जाता था.
अपनी किताब में उन्होंने बताया कि साल 2005 में एक ऐसी स्थिति भी आई कि ओमेलेक पर कर्मचारियों के लिए खाना खत्म हो गया. हालात यहां तक पहुंच गए कि लोग भुखमरी की कगार पर आ गए थे. इन कर्मचारियों ने इसका विद्रोह भी किया था.
बगावत पर उतरे कर्मचारी
उन्होंने दावा किया कि ओमेलेक पर पहले साल सामानों की पूर्ति सही से नहीं होती थी. कई बार सप्लाई रुक जाती थी. जिसके कारण वहां काम कर रहे कर्मचारियों को बिना खाने के रहना पड़ता था. वहीं 2005 में एक समय ऐसा भी आया जब कर्मचारियों ने इस मुद्दे को उठाया और बगावत पर उतर आए. कर्मचारी हड़ताल पर चले गए, जिसके कारण कंपनी को आपातकालीन आपूर्ति के लिए मजबूर किया गया.
किताब में कहा गया है कि ओमेलेक पर रह रहे कर्मचारी उस दौरान खुद को किसी गुलाम की तरह समझ रहे थे. वहीं जिस दिन कर्मचारी हड़ताल पर आ गए तब स्पेसएक्स के मैनेजर्स ने इंजीनियर्स को काफी डांटा भी था. हालांकि इंजीनियर्स खाने और सिगरेट की सप्लाई नहीं आने से भड़क गए थे. इसके बाद कंपनी को रात को ही हेलिकॉप्टर के सहारे चिकेन और सिगरेट भेजना पड़ा. इसके बाद कर्मचारी वापस अपने काम पर आए.
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