दुनिया भर में अमीर-गरीब की खाई बढ़ती जा रही है. अमेरिका जैसे देशों ने अब तक 65 प्रतिशत से ज्यादा लोगों को वैक्सीन की कम से कम एक खुराक लगा चुकी है लेकिन गरीब मुल्कों की भागीदारी एक फीसदी से भी कम है. आवर वर्ल्ड इन डाटा के मुताबिक दुनिया की 23 फीसदी आबादी को कोरोना की कम से कम एक डोज वैक्सीन लग चुकी है लेकिन कम आय वाले देशों में मात्र 0.9 फीसदी को ही कोरोना की पहली खुराक उपलब्ध हो सकी है. इनमें ज्यादातर मुल्क अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी है. वहीं अमेरिका ऐसा देश है जहां शेर, भालू को भी टीके लगाए जा रहे हैं. 


जरूरत से ज्यादा टीका खरीद लेते हैं अमीर देश
एक तरफ गरीब देशों को टीका मिल नहीं रहा है वहीं कुछ अमीर देश हैं जो अपनी जरूरत से ज्यादा टीका खरीद कर रखे हुए हैं. पीपुल्स वैक्सीन अलायंस की रिपोर्ट के मुताबिक कनाडा ने अपनी आबादी से पांच गुना अधिक खुराकें खरीद ली है. पूरी दुनिया की आबादी में अमीर देशों की आबादी मात्र 14 प्रतिशत है लेकिन इन देशों ने 53 प्रतिशत खुराकें अपने लिए सुरक्षित करा ली है. ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने अपनी आबादी से कहीं अधिक खुराकें खरीद ली है. 


ऑकलैंड में जानवरों को टीका
अमेरिका में पशुओं की प्रजातियों को कोरोना वायरस से सुरक्षा प्रदान करने के राष्ट्रीय अभियान के तहत सैन फ्रांसिस्को बे एरिया के चिड़ियाघर में बाघ, भालू और गंधबिलाव (नेवले की जाति का एक जीव) को कोरोना रोधी टीके लगाए गए. रिपोर्ट के मुताबिक  ऑकलैंड चिड़ियाघर में बाघ जिंजर और मॉली पहले दो पशु हैं जिन्हें इस सप्ताह कोरोना का टीका लगाया गया. टीके की ये खुराक न्यू जर्सी में पशु दवा कंपनी जोएटिस ने विकसित और दान की है. चिड़ियाघर में पशु सेवा की उपाध्यक्ष एलेक्स हरमन ने बताया कि यहां पर रह रहे किसी भी पशु को कोरोना नहीं है. लेकिन एहतियातन हमने ये कदम उठाया है. बाघ, काले और भूरे भालू, पहाड़ी शेर और गंध बिलाव को टीके की पहली खुराक दी गई है. इसके बाद स्तनपायी जानवरों और सुअरों को टीका दिया जाएगा. रिपोर्ट के मुताबिक, जोएटिस ने 27 राज्यों में 70 से अधिक चिड़ियाघरों के पशुओं के लिए 11 हजार से अधिक टीके की खुराक दान की है. 


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