UK PM Liz Truss And India: शिकस्तों से नफरत करने वाली लिज ट्रस (Liz Truss) सोमवार को ऋृषि सुनक को पीछे छोड़ जीतकर आखिरकार ब्रिटेन की प्रधानमंत्री बन गई हैं. उनकी कंज़र्वेटिव पार्टी (Conservative Party) ने उन्हें अपना नया नेता चुनने पर मुहर लगा दी है. इसके साथ ही दुनिया के देशों संग ब्रिटेन के रिश्तों को एक नया आयाम मिलने के कयास तेज हो गए हैं.
लिज के हालिया भारत के दौरे को नजर में रखा जाए तो उनका ब्रिटेन का पीएम बनना भारत के साथ ब्रिटेन के रिश्तों में और अधिक गर्मजोशी ला सकता है. उनके पीएम बनने के एक घंटे के भीतर ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लिज को बधाई संदेश भेजना बहुत कुछ कहता है. पीएम ने इस संदेश में दोनों देशों के रिश्तों को लेकर बेहद गहरी बात कह डाली है.
क्या लिज निभाएंगी भारत से किया वादा
कंजर्वेटिव पार्टी नेतृत्व की दावेदार के तौर पर लिज़ ट्रस ने 10 अगस्त बुधवार की रात कंजर्वेटिव फ्रेंड्स ऑफ इंडिया (सीएफआईएन) प्रवासी समूह के अपने चुनावी मंच से एक वादा किया था. तब उन्होंने पीएम बनने पर यूके-भारत संबंधों को बढ़ावा देने का वादा किया था. तब भी उन्होंने खुद को भारतीय समुदाय के लिए व्यापारिक समर्थक के तौर पर पेश किया था. उन्होंने ये भी कहा था कि अगर ब्रिटेन की प्रधानमंत्री बनती हैं तो वह बार-बार भारत आना चाहेंगी.
टोरी नेता के तौर पर निर्वाचित होने के लिये पूर्व ब्रिटिश वित्त मंत्री ऋषि सुनक के साथ अपने मुकाबले के दौरान उनका दिया ये बयान बहुत मायने रखता है. टोरी राजशाही के तरफदार थे और आज भी कंज़र्वेटिव पार्टी इनकी बड़ी भक्त है.उन्होंने भारत-ब्रिटेन एफटीए के लिए भी अपनी वचनबद्धता जताई थी और अपने पूर्ववर्ती बोरिस जॉनसन के निर्धारित किए वक्त में यानी दिवाली तक इसे पूरा करने की कोशिश की बात कही.
तब उन्होंने ये भी कहा था कि अगर ये तब-तक न हो सका तो पक्के तौर पर साल के आखिर तक इसे पूरा कर लिया जाएगा. उन्होंने कहा था कि मैं यह सुनिश्चित करना चाहती हूं कि व्यापार सौदा जितना संभव हो उतना गहरा हो जिसमें जीवन विज्ञान से लेकर प्रौद्योगिकी तक कृषि तक सब कुछ शामिल हो. ट्रस ने यह भी कहा कि वह चाहती हैं कि यूके और भारत मिलकर काम करें ताकि विकासशील देशों को चीन के कर्ज में डूबने से रोकने के लिए उन्हें पैसा दिया जा सके.
लिज ने ये भी कहा, "मेरे दिमाग में कोई संदेह नहीं है कि दुनिया में सबसे अच्छे और प्रतिभाशाली लोग भारत में हैं, मैं यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी वीजा प्रणाली पर गौर करना जारी रखूंगी कि यह उन लोगों को आकर्षित करे." ट्रस ने कहा था कि ब्रिटेन के पास भारत के संग अपने रक्षा और सुरक्षा संबंधों को मजबूत करने का एक वास्तविक मौका था.
भारत वर्तमान में 60 फीदसी रूसी हथियारों पर निर्भर है, लेकिन जाहिर है कि वे अब चीन के साथ रूस के रणनीतिक संबंधों और उन हथियारों में से कुछ के असर के बारे में चिंतित हैं, इसलिए निकट साझेदारी के लिए एक वास्तविक मौका है." ट्रस ने यहां तक कहा था कि मुझे पता है कि कड़ी मेहनत में विश्वास, अपना खुद का व्यवसाय स्थापित करने के मूल्य और नियमों के तहत चलने में कंजर्वेटिव पार्टी और भारतीय समुदाय एक जैसे है. अब देखना है कि वह कैसे और कब ये वादे भारत के साथ निभाती है.
भारत-ब्रिटेन के रणनीतिक औऱ आर्थिक रिश्तों की हिमायती
कंजर्वेटिव पार्टी की नवनिर्वाचित नेता और भावी प्रधानमंत्री लिज ट्रस को भारत-ब्रिटेन के रणनीतिक औऱ आर्थिक रिश्ते गहरे और मजबूत बनाने के लिये जाना जाता है. उन्होंने बोरिस जॉनसन की सरकार में अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री रहते हुए बीते साल मई में वृहद व्यापार साझेदारी-ईटीपी (Exchange Traded Product -ETP) पर मुहर लगवाई थी. तब ईटीपी पर साइन के बाद ट्रस ने कहा था, “मैं बनते व्यापार परिदृश्य में ब्रिटेन और भारत को एक बेहतरीन जगह पर देख रही हूं.” यही ईटीपी अब चल रही मुक्त व्यापार समझौता-एफटीए (A FreeTrade Agreement) बातचीत के लिये शुरुआती बेस बन कर काम कर रही है. गौरतलब है कि साल 2010 में लिज ने चार कंज़र्वेटिव सांसदों के साथ मिलकर 'ब्रिटैनिया अनचेंज्ड' नाम की एक किताब लिखी थी. इसमें उन्होंने यूके के कुछ कायदों को बदलकर दुनिया में उसे ताकतवर बनाने पर लिखा. इसके बाद उन्हें खुले बाजार की अहम लीडर की तरह देखा गया. एफटीए उसी का नतीजा है.
47 साल की ट्रस ने सीनियर कैबिनेट मंत्री के तौर पर भारत की कई यात्राएं की. उन्होंने भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के संग डिजिटल वार्ता को अंजाम दिया. तब उन्होंने भारत को “बड़ा, अहम अवसर” कहा था. तब उन्होंने कहा, “हम एक व्यापक व्यापार समझौते पर विचार कर रहे हैं जिसमें वित्तीय सेवाओं से लेकर कानूनी सेवाओं के साथ-साथ डिजिटल और डेटा समेत वस्तुएं और कृषि तक सब कुछ शामिल हैं. हमें लगता है कि हमारे शीघ्र एक समझौता करने की बहुत संभावना है, जहां हम दोनों तरफ शुल्क घटा सकते हैं और दोनों देशों के बीच अधिक वस्तुओं का आयात-निर्यात होते देख सकते हैं.”
कहा था अहम है भारत के साथ रिश्ते मजबूत करना
मार्च 2022 में हुए पहले भारत-यूके रणनीतिक फ्यूचर्स फोरम (First India-UK Strategic Futures Forum-IUSFF)) में ही यूके की तत्कालीनविदेश मंत्री लिज ट्रस (BritishForeign Secretary Liz Truss) ने भारत को लेकर अपना रूख साफ कर दिया था. इस फोरम में लिज कहा, "भारत में होना फैनटास्टिक है. मेरा एक साल के भीतर ही भारत का ये तीसरे बार का दौरा यूनाइटेड किंगडम के भारत (Indo Pacific) के साथ रिश्तों की प्रतिबद्धता को साबित करता है. पहले की तुलना में भारत के साथ संबंधों को मजबूत करना अब कहीं अधिक अहम हो चला है." उन्होंने कहा कि यूक्रेन (Ukraine) संकट को देखते हुए ये बेहद जरूरी हो गया है.ट्रस ने कहा कि यूक्रेन संकट ने समान विचारधारा वाले देशों के एक साथ काम करने की जरूरत पर प्रकाश डाला और इसके विकास के विश्व पर दूरगामी प्रभाव पड़ेंगे.
उन्होंने कहा, "भारत के साथ संबंधों को मजबूत करना पहले से कहीं अधिक अहम है क्योंकि हम एक अधिक असुरक्षित दुनिया में रह रहे हैं, यकीनन (व्लादिमीर) पुतिन का यूक्रेन पर आक्रमण भयावह है." इस दौरान ये भी कहा, "मुझे लगता है कि रूस पर प्रतिबंध लगाना बहुत महत्वपूर्ण है." इस वार्ता में अपनी शुरुआती टिप्पणियों में ट्रस ने कहा था कि संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का सम्मान करना महत्वपूर्ण है. इस दौरान भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर (S. Jaishankar) ने रोडमैप 2030 को लागू करने के बारे में बात की. गौरतलब है कि बीते साल मई में दोनों देशों इसे संबंधों को और व्यापक बनाने के लिए अपनाया गया था. इस वार्ता से पहले, ब्रिटिश उच्चायोग (British High Commission) ने एक बयान जारी कर कहा था कि ट्रस भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) से मिलकर रूस (Russia) के यूक्रेन पर हमले को देखते हुए लोकतंत्रों की अहमियत के बारे में बात करेंगी.
ब्रिटेन भी चाहता है भारत का साथ
बदलते वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए ब्रिटेन के भारत के साथ रिश्ते मजबूत करने के पीछे एक बहुत बड़ी वजह है. वह है दुनिया के इस सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश की राजनितिक-आर्थिक अहमियत को देखते हुए इसे अपने पाले में करना. ब्रिटेन भी इसमें पीछे नहीं रहना चाहता है. इसके साफ सबूत तत्कालीन विदेश मंत्री लिज ट्रस ने भारत के अपने दौरों के बीच दे डाले हैं. अब वह ब्रिटेन की प्रधानमंत्री बन गई हैं और इसमें कोई दो राय नहीं कि वो अब इस तरफ और गर्मजोशी से आगे बढ़ेंगी. ये बात इस साल मार्च में ही उभर कर सामने आई थी कि भारत वैश्विक स्तर पर दुनिया के देशों के लिए अहम हो चला है.
तब केवल कुछ ही दिनों के अंदर प्रभावशाली विदेशी लोगों के भारत दौरों की झड़ी लग गई थी. ट्रस के आने के एक दिन पहले ही अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (Deputy National Security Adviser ) दलीप सिंह (Daleep Singh) भारत पहुंचे तो 31 मार्च को रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (Russian Foreign Minister Sergey Lavrov) शाम को दिल्ली पहुंचे थे. भारत के रूस के साथ रिश्ते जगजाहिर हैं और भारत इस मामले में कह भी चुका है कि वह रूस की वक्त पर की गई मदद को कभी नहीं भुला सकता है. वह उसके साथ अपने संबंधों को दरकिनार नहीं कर सकता है.
ऐसे में ब्रिटेन और अमेरिका की पुरजोर कोशिश है कि भारत रूस के मामले में उनका साथ दें और इसके लिए वो पूरी कोशिश कर भी रहे हैं. गौरतलब है कि भारत ने रूस के यूक्रेन के हमले के मामले में तटस्थ रूख अपनाया था. उसने हमले की निंदा नहीं की थी और संयुक्त राष्ट्र (UN) में भी इसके खिलाफ वोट नहीं किया था. मार्च के अंत में रूसी विदेश मंत्री के भारत के दौरे का मकसद मास्को (Moscow) पर लगाए गए प्रतिबंधों के असर कम करने में भारत से मदद की दरकार था. रूस अपने घनिष्ठ व्यापार संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए आस लेकर आया था और ये आस पूरी भी हुई जब भारत भारी छूट वाले रूसी तेल के 30 लाख बैरल आयात करने पर सहमत हुआ. इसके बाद भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने पश्चिमी देशों के उसके इस फैसले की आलोचना करने पर उन्हें आड़े हाथों लिया था.
ब्रिटेन को रूस के खिलाफ भारत की दरकार
ब्रिटिश उच्चायोग के बयान के मुताबिक 31 मार्च को भारत दौरे पर ट्रस एक मकसद लेकर आई थी. वह मई में होने वाली नाटो (NATO) और जी7 (G7) की अहम बैठकों से पहले ही रूस की आक्रामकता का विरोध और इस देश पर वैश्विक रणनीतिक निर्भरता को कम करने का इरादा रखती थीं और उसके लिए भारत का साथ चाहती थीं. तब ट्रस ने अपने बयान में कहा, "ब्रिटेन और भारत के बीच गहरे रिश्ते भारत-प्रशांत और विश्व स्तर पर सुरक्षा को बढ़ावा देंगे और दोनों देशों में रोजगार और अवसर पैदा करेंगे." तब उन्होंने ये भी कहा था कि रूस के यूक्रेन के अकारण आक्रमण के संदर्भ में भारत से ब्रिटेन का रिश्ता बहुत अधिक मायने रखता है.
उन्होंने कहा था यह हमला मुक्त लोकतंत्रिक देशों को रक्षा, व्यापार और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में एक साथ मिलकर काम करने की जरूरत पर बल देता है. पिछले साल मई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) और उनके ब्रिटिश समकक्ष बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) के बीच आयोजित भारत-यूके वर्चुअल शिखर सम्मेलन के दौरान भारत-ब्रिटेन संबंध पर एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी के स्तर को बढ़ावा दिया गया था. शिखर सम्मेलन में दोनों पक्षों ने व्यापार और अर्थव्यवस्था, रक्षा और सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और लोगों से लोगों के बीच संबंधों जैसे अहम क्षेत्रों का विस्तार करने के लिए 10 साल के रोडमैप को अपनाया था.
भारत के पीएम का बधाई संदेश भी बहुत कुछ कहता है
लिज ट्रस के प्रधानमंत्री बनने के एक घंटे के अंदर भारत के प्रधानमंत्री ने उन्हें ट्वीट कर बधाई संदेश भेजा. उन्होंने ट्वीट किया, " बधाई हो @trussliz यूके के अगले पीएम चुने जाने के लिए. विश्वास है कि आपके नेतृत्व में भारत-यूके व्यापक रणनीतिक साझेदारी और मजबूत होगी. आपको आपकी नई भूमिका और जिम्मेदारियों के लिए शुभकामनाएं."
बड़ी हैं चुनौतियां लिज के लिए
ब्रिटेन में नए प्रधानमंत्री के तौर पर भी ट्रस के सामने चुनौतियां कम नहीं होंगी. खास तौर पर यूरोप में संघर्ष की स्थिति के कारण ऊर्जा और ईंधन के दाम बढ़ने से जीवन निर्वाह पर खर्च बढ़ गया है. उन्होंने एक हालिया साक्षात्कार में कहा था, “एक हफ्ते के अंदर मैं यह पक्का करुंगी कि यह एलान किया किए कि हम ऊर्जा संकट और दीर्घकालिक आपूर्ति की चुनौती से कैसे निपटने जा रहे हैं जिससे सर्दियों के मौसम के लिहाज से सही तैयारी हो सके. ”
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