'भारत को सौंप दो दाऊद इब्राहिम...', आडवाणी की बात सुनते ही भड़क गए थे परवेज मुशर्रफ
Parvez Musharraf Dies: पाकिस्तान से कारगिल में मिले धोखे को भुलाकर अटल बिहारी वाजपेयी ने 2001 में एक बार फिर से रिश्ते सामान्य करने की कोशिश की थी.
Parvez Musharraf On Dawood Ibrahim: पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ का 79 साल की उम्र में दुबई के एक अस्पताल में निधन हो गया. वह लंबे वक्त से हार्ट और किडनी की समस्या से परेशान थे. एक जमाना था जब मुशर्रफ भले ही पाकिस्तान के सबसे ताकतवर शख्स रहे हों लेकिन उनके जीवन का अंतिम समय बड़े कष्ट में बीता.
सैन्य तख्तापलट कर लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को गिराकर 9 साल तक मुल्क पर शासन करने वाले मुशर्रफ को अपनी अंतिम सांस मुल्क के बाहर लेनी पड़ी. बता दें कि परवेज मुशर्रफ का पूरा जीवन विवादों से भरा पड़ा था. उनको पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने सेनाध्यक्ष बनाया था और उन्होंने नवाज शरीफ की सरकार को ही बर्खास्त कर दिया था.
बाजपेयी चाहते थे सामान्य हों रिश्ते
भारत में जन्मे मुशर्रफ ने सेना की कमान आने के बाद भारत के खिलाफ ही साजिश रच दी और कारगिल को कब्जाने की कोशिश की थी. हालांकि, दुनिया की नजरों में वह भारत के साथ रिश्ते सुधारने का ढोंग भी करते रहे थे. जुलाई 2001 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने के लिए आगरा शिखर वार्ता की थी, लेकिन यह शिखर सम्मेलन असफल रहा था.
2001 में हुआ था आगरा सम्मेलन
टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबित, दरअसल फरवरी 1999 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पहल पर पाकिस्तान के साथ लाहौर में एक वार्ता हुई. इसमें पाकिस्तान प्रधानमंत्री नवाज शरीफ शामिल हुए. हालांकि इस वार्ता के नतीजों से पहले ही जुलाई 1999 में पाकिस्तान ने करगिल युद्ध छेड़ दिया. पाकिस्तान से मिले धोखे के भुलाकर अटल बिहारी ने 2001 में एक बार फिर से रिश्ते सामान्य करने की कोशिश की.
करगिल युद्ध के बाद आगरा वार्ता
अटल बिहारी के बुलावे पर 14 जुलाई 2001 को पाक के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ आगरा आए. यहां गृहमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी उनसे मिलने पहुंचे. दोनों देशों के बीच रिश्ते सामान्य करने और प्रत्यर्पण संधि पर बातचीत शुरू हुई. घटनाक्रम का जिक्र करते हुए आडवाणी ने लिखा था कि मुशर्रफ ने भारत और पाकिस्तान के बीच प्रत्यर्पण संधि संबंधी उनके सुझाव पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी थी.
दाऊद के नाम से भड़क गए थे मुशर्रफ
प्रत्यर्पण संधि पर बात करते हुए आडवाणी ने मुशर्रफ से कहा, "1993 के मुंबई बम धमाकों के जिम्मेदार दाऊद इब्राहिम को भारत को सौंप दें तो शांति प्रक्रिया आगे बढ़ाने में बड़ी मदद मिलेगी." दाऊद का नाम सुनते ही मुशर्रफ के चेहरे का रंग उड़ गया. आडवाणी ने 2011 में एक ब्लॉग पोस्ट में लिखा था, "दाऊद इब्राहिम का नाम सुनकर मुशर्रफ के चेहरे का रंग उड़ गया था और वह असहज हो गये थे. वह अपनी बेचैनी को बड़ी मुश्किल से छुपा पा रहे थे."
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