Brazil President Election: ब्राजील में रविवार को हुए चुनाव में वामपंथी गठबंधन के नेता लुइस इनासियो लूला डी सिल्वा (Lula Da Silva) अब नए राष्ट्रपति होंगे. उन्होंने मौजूदा राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो (Jair Bolsonaro) को बेहद कड़े मुकाबले में हरा दिया है. लूला को 50.9 प्रतिशत और जेयर को 49.2 प्रतिशत वोट मिले हैं. लूला ब्राजील की तीसरी बार सत्ता संभालेंगे.


30 अक्टूबर को राष्ट्रपति चुनाव के लिए दूसरे राउंड की वोटिंग हुई. लूला डी सिल्वा को 50.90 प्रतिशत, जबकि बोल्सोनारो को 49.10 प्रतिशत वोट मिले. ब्राजील के संविधान के मुताबिक, चुनाव जीतने के लिए किसी भी कैंडिडेट को कम से कम 50 प्रतिशत वोट हासिल करने होते हैं. पिछले महीने हुई पहले राउंड की वोटिंग में लूला को 48.4 प्रतिशत, जबकि बोल्सोनारो को 43.23 प्रतिशत वोट मिले थे.


जैर बोल्सोनारो ने साधी चुप्पी


जैर बोल्सोनारो इन नतीजों के बाद पूरी तरह से खामोश हो गए हैं. उन्होंने अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. कोरोना के कुप्रबंधन को उनकी हार का सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है. कोरोना से ब्राजील में दुनिया में सबसे अधिक मौतें होने के बावजूद ब्राजील में कोविड प्रोटोकॉल पर बहुत जोर नहीं दिया गया था. बोल्सोनारो से जनता में नाराजी के कारण वे दूसरा कार्यकाल नहीं पा सके. नए राष्‍ट्रपति लूला डी सिल्‍वा ने उन्‍हें बेहद ही कम वोटों के अंतर से मात दे दी.


साल 2018 में चुनाव नहीं लड़ पाए थे लूला


लूला डी सिल्वा को साल 2018 में भ्रष्टाचार के मामले में सजा हुई थी. इस वजह से चुनाव नहीं लड़ पाए थे. साल 2019 में उनकी सजा इस आधार पर रद्द कर दी गई कि उन पर गलत तरह से मुकदमा चलाया गया. उन्होंने अपने राजनीतिक करियर में छठी बार राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ा था. उन्होंने पहली बार 1989 में चुनाव लड़ा था लेकिन इस बार लूला ने देश में शांतिपूर्ण क्रांति लाने की प्रतिबद्धता जताई थी.


नई सरकार के सामने होंगी 3 बड़ी चुनौतियां


लूला की सरकार के सामने तीन बड़ी चुनौतियां होंगी. पहली पर्यावरण संतुलन अमेजन जंगल का 60 प्रतिशत हिस्सा ब्राजील में है. ये दुनिया की जलवायु का संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं. साथ ही ग्लोबल वॉर्मिंग से लड़ने में भी मदद करते हैं लेकिन जंगल में आग, अवैध उत्खनन और पेड़ों की कटाई के चलते ब्राजील को 90 साल के सबसे भीषण सूखे का सामना करना पड़ा. लूला हमेशा से ही पर्यावरण संरक्षण के पक्ष में रहे हैं. उनके राष्ट्रपति बनने के बाद अब ब्राजील पेड़ों की कटाई जैसी समस्याओं से उबर सकता है.


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