इस मुस्लिम देश का बड़ा फैसला, 130 साल पुराने मंदिर को हटा मस्जिद बनेगी, क्या पाकिस्तान है वो मुल्क
मलेशिया में 130 साल पुराने हिंदू मंदिर को हटाकर मस्जिद बनाने के फैसले पर विवाद पैदा हो गया है. मामले पर पीएम अनवर इब्राहिम ने मंदिर को दूसरी जगह शिफ्ट करने का सुझाव दिया है.

Malaysia KualaLumpur Hindu Temple Demolish: मलेशिया के कुआलालंपुर में स्थित 130 साल पुराने देवी श्री पथराकालीअम्मन मंदिर को हटाकर मस्जिद बनाने की योजना से विवाद पैदा हो गया है. यह मंदिर शहर के फ्लैटों और कपड़ा दुकानों के बीच स्थित है. हाल ही में, मलेशिया की कपड़ा क्षेत्र की प्रमुख कंपनी जैकेल को इस जमीन का मालिकाना हक मिल गया है. इसके बाद कंपनी ने यहां एक मस्जिद बनाने की योजना बनाई है. हालांकि, इस फैसले से मलेशिया में धार्मिक असमानता और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को लेकर चिंता बढ़ गई है.
कुआलालंपुर में मंदिर जो मस्जिद इंडिया के पड़ोस में स्थित है, जो 130 साल पुराना है. यह मंदिर 140 साल पुरानी तमिल मुस्लिम मस्जिद के करीब स्थित है. इसका निर्माण मस्जिद के निर्माण के 10 साल बाद किया गया था. यह भूमि, जिस पर मंदिर और मस्जिद स्थित हैं, 2014 में जैकेल कंपनी को बेची गई थी, और कंपनी ने यहां मस्जिद बनाने की योजना बनाई है.
मस्जिद निर्माण को लेकर बढ़ा विवाद
इस मस्जिद का शिलान्यास जल्द ही प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम करेंगे, लेकिन इस निर्णय को लेकर कई लोगों ने सवाल उठाए हैं. लॉयर्स फॉर लिबर्टी के कार्यकारी निदेशक जैद मालेक ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि मंदिर और जैकेल के बीच चर्चा अभी भी जारी है. इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए और समय दिया जाना चाहिए. मालेक ने सवाल उठाया कि क्या प्रधानमंत्री अनवर को मंदिर हटाने की जल्दबाजी करनी चाहिए.
प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने कहा कि मंदिर का निर्माण कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त नहीं है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि जैकेल मंदिर को हटाने के लिए मदद करने को तैयार है. साथ ही, सिटी हॉल मंदिर के लिए दूसरी जमीन की तलाश कर रहा है. अनवर ने इस बात पर जोर दिया कि वह किसी मंदिर को ध्वस्त करते हुए खुद को नहीं देख सकते.
सोशल मीडिया में विवाद
मलेशिया के सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर बहस छिड़ गई है. कुछ लोगों का कहना है कि मंदिर को हटाना धार्मिक भेदभाव का प्रतीक है, जबकि अन्य इसे निजी स्वामित्व के अधिकार के रूप में देख रहे हैं. मस्जिद का नाम "मस्जिद मदनी" रखने की योजना बनाई जा रही है, जिससे सांस्कृतिक टकराव से बचा जा सके.
हिंदू नेताओं और समुदाय की प्रतिक्रिया
हिंदू नेताओं ने इस फैसले पर नाराजगी जताई है. जातीय भारतीय पार्टी उरीमाई के पी रामासामी ने इस मंदिर को "मलेशिया की स्वतंत्रता से पहले का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल" बताया और कहा कि इस मंदिर को हटाना अस्वीकार्य है, खासकर ऐसे देश में जो खुद को बहुजातीय और बहुधार्मिक होने पर गर्व करता है. वहीं, कुछ मलय मुसलमानों का तर्क है कि भूमि के नए मालिक को अपने धार्मिक उद्देश्यों को पूरा करने की अनुमति दी जानी चाहिए.
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