अमेरिकी अखबार ने मुइज्जू को लेकर भारत पर लगाया था गंभीर आरोप, अब पूर्व राष्ट्रपति ने कहा- सब बकवास इंडिया ऐसा कभी नहीं करेगा
Former President of Maldives : मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने इस रिपोर्ट को बकवास करार दिया हे. उन्होंने कहा कि भारत कभी मालदीव में सत्ता बदलने को लेकर मदद के लिए तैयार नही होगी.
Maldives Former President : लगभग एक साल पहले भारत के पड़ोसी देश मालदीव में सत्ता परिवर्तन हुआ था. मालदीव में भारत विरोधी मोहम्मद मुइज्जू की सरकार शासन में आई. देश में सरकार बनने के बाद मुइज्जू सरकार के मंत्री भारत के खिलाफ लगातार जहर उगलते नजर आए. अब एक अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट में एक विवादित खबर छापी है, जिसमें दावा किया गया है भारत मालदीव में सत्ता परिवर्तन का पूरा प्लान बनाकर बैठा है. इस खबर का मालदीव के विपक्षी पार्टी के नेता ने ही खंडन किया है. विपक्षी नेता और पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशील का बयान सामने आया है. उन्होंने इस रिपोर्ट पर कड़ी आपत्ति जताई है.
पूर्व राष्ट्रपति ने भारत का किया समर्थन
मालदीव के विपक्षी नेता और पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने भारत का समर्थन करते हुए इस रिपोर्ट को सीधे तौर पर बकवास करार दिया है. इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत के दौरान पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि भारत कभी इस तरह से मालदीव में सत्ता बदलने को लेकर मदद के लिए तैयार होगी. मेरे साथ कभी भी ऐसी कोई बातचीत नहीं हुई है.
अमेरिकी अखबार ने क्या किया दावा?
अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने डेमोक्रेटिक रिन्यूअल इनिशिएटिव नाम के एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि मालदीव के विपक्ष ने देश में मोहम्मद मुइज्जू के खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए वोट देने के लिए 40 सांसदों को रिश्वत देने का प्रस्ताव रखा है. इसमें मोहम्मद मुइज्जू के पार्टी के सांसद भी शामिल है.
रिपोर्ट में भारत पर लगाए गए ये आरोप
अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में भारत के खिलाफ आरोप लगाया गया. इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने मालदीव की सत्ता गिराने के लिए 10 सीनियर नेता और पुलिस के अधिकारियों को भुगतान किया है.
वहीं, इस रिपोर्ट पर मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने कहा, “भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और वहां कानून से शासित होने वाला समाज है. मेरा भारतीय सरकार और संस्थानों के सभी स्तरों के साथ 20 से अधिक वर्षों तक घनिष्ठ संबंध रहा है. मुझे लगता है कि भारत दूसरे के दृष्टिकोण का सम्मान करता है, चाहे भले ही आप उनसे असहमत हो.”
उन्होंने आगे कहा, “भारत अपने धारणाओं और विश्वास को दूसरे देशों और वहां की राजनीतिक पार्टियों और नेताओं पर नहीं थोपता है.”
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