माले: मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के देश में आपातकाल की घोषणा करने के बाद सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति के बीच गहराते संकट के बीच सुरक्षा बलों ने सुप्रीम कोर्ट के परिसर में पहुंचकर मालदीव के चीफ जस्टिस समेत दो जजों को गिरफ्तार कर लिया. चीफ जस्टिस अब्दुल्ला सईद और सुप्रीम कोर्ट के एक और जज की गिरफ्तारी के बाद यह संकट और गहरा गया है.


इससे पहले यामीन ने सुप्रीम कोर्ट के नौ राजनीतिक कैदियों की तत्काल रिहाई के आदेश को मानने से इनकार कर दिया था. पुलिस ने बताया कि दोनों व्यक्तियों पर भ्रष्टाचार का मामला चल रहा है और अदालतों के चीफ जस्टिसों को भी हिरासत में लिया गया है.


यामीन ने साल 2013 से सत्ता में आने के बाद से अपने करीब सभी राजनीतिक विरोधियों को जेल में डाल दिया था. यामीन ने अपने सौतेले भाई और पूर्व राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम की गिरफ्तारी के भी आदेश दिया थे, जो मुख्य विपक्षी दल के पक्ष में है.


गयूम की बेटी युम्ना मौमून ने ट्विटर पर बताया कि 80 साल के पूर्व राष्ट्रपति को राजधानी माले स्थित उनके घर से ले जाया गया. गयूम 2008 में देश का पहला लोकतांत्रिक चुनाव होने से पहले 30 साल तक देश के राष्ट्रपति रहे. वह विपक्ष के साथ थे और अपने सौतेले भाई को पद से हटाने के लिये अभियान चला रहे थे.


दूसरी ओर, गयूम ने ट्विटर पर एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘मैंने ऐसा कुछ नहीं किया कि मुझे गिरफ्तार किया जाए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं आप से आग्रह करता हूं कि आप इस संकल्प में दृढ़ रहे. हम सुधार के लिए किए जा रहे अपने कामों को जारी रखेंगे.’’


यह दूसरा मौका है जब यामीन ने देश में आपातकाल लगाने की घोषणा की है. इससे पहले 2015 में उन्होंने तब आपातकाल की घोषणा की थी जब कथित तौर पर उनकी हत्या का प्रयास किया गया था. इस बीच विपक्षी नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से यामीन पर दबाव बनाने की अपील भी की है.