India-Maldives Row: कम नहीं हो रहीं मुइज्जू की मुसीबतें! भारत विरोधी सोच के चलते विपक्षी दलों का संसदीय संबोधन से बहिष्कार
India-Maldives: डेमोक्रेट्स की ओर से कहा गया कि वे तीन मंत्रियों (जिन्हें भारत के पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों को लेकर सस्पेंड किया गया था) की बहाली के चलते बैठक से दूर रहेंगे.
India-Maldives: मालदीव के दो मुख्य विपक्षी दल (मालदीवियन डेमोक्रेटिक और डेमोक्रेट्स पार्टी) सोमवार (5 फरवरी, 2024) को संसद में राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के भाषण में शामिल नहीं होंगे. बहुमत प्राप्त एमडीपी ने फिलहाल राष्ट्रपति के भाषण के बहिष्कार के पीछे का कारण स्पष्ट नहीं किया है. हालांकि, डेमोक्रेट्स की ओर से कहा गया कि वे तीन मंत्रियों (जिन्हें भारत के पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों को लेकर सस्पेंड किया गया था) की बहाली के चलते बैठक से दूर रहेंगे. वैसे, दोनों विपक्षी पार्टियों ने मोहम्मद मुइज्जू पर "भारत विरोधी सोच" रखने का आरोप लगाया था.
स्थानीय मीडिया आउटलेट "मिहारू" की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति भाषण सुबह 9 बजे होगा. संविधान के अनुसार राष्ट्रपति को साल के पहले कार्यकाल के पहले सत्र में संसद को संबोधित करना होता है और देश की स्थिति की रूपरेखा तैयार करना व सुधार लाने के लिए सिफारिशों को रेखांकित करना जरूरी है.
विपक्ष ने मुइज्जू सरकार की आलोचना की
पिछले महीने चल रहे विवाद के बीच मालदीव के प्रमुख दोनों विपक्षी दलों ने भारत को देश का "सबसे पुराना सहयोगी" बताया था. एक संयुक्त बयान में दोनों पार्टियों ने मौजूदा प्रशासन पर "भारत विरोधी रुख अपनाने" का आरोप लगाया. "एमडीपी और डेमोक्रेट दोनों पार्टियों का मानना है कि देश के सबसे पुराने सहयोगी को अलग करना देश के दीर्घकालिक विकास के लिए बेहद हानिकारक होगा." मालदीव की स्थिरता और सुरक्षा के लिए हिंद महासागर में स्थिरता और सुरक्षा महत्वपूर्ण है.
दरअसल, मालदीव और भारत के बीच इसलिए तनाव बढ़ गया था क्योंकि मालदीव के पूर्व मंत्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां की थीं. नई दिल्ली ने पीएम मोदी की लक्षद्वीप यात्रा पर की गई टिप्पणियों पर मालदीव के मंत्रियों के खिलाफ विरोध दर्ज कराया. इस टिप्पणी ने सोशल मीडिया पर बड़ा विवाद खड़ा कर दिया, जिसके बाद भारत में लोगों से मालदीव न जाने की अपील की जाने लगी थी और यही वजह रही थी कि पर्यटन पर निर्भर रहने वाली द्वीप देश को आर्थिक तौर पर झटका लगा था.
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