मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जु ने अपने पद की शपथ लेने के तुरंत बाद औपचारिक रूप से भारत से अपने सैनिक वापस बुलाने के लिए कहा था.
मालदीव के एक वरिष्ठ अधिकारी ने रविवार (19 नवंबर) को कहा कि मालदीव में 77 भारतीय सैनिक मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि मालदीव की सरकार भारत के साथ पूर्व में हुए 100 से ज्यादा समझौतों की समीक्षा कर रही है. लेकिन इन बयानों से इतर मालदीव के अधिकारी भारत की ओर से दिए एयरक्राफ्ट और हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल कर रहे हैं.
मुइज्जु की ओर से भारतीय सैनिकों को भेजे जाने के औपचारिक ऐलान के एक दिन बाद ही माले के अधिकारियों ने हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया. इसके अलावा डोर्नियर एयरक्राफ्ट की मदद से एक 36 वर्षीय महिला को अतोल अस्पताल से माले के सेंट्रल एरिया कमांड भेजा गया.
भारतीय विमानों के इस्तेमाल की हालिया घटनाएं
मालदीव के राष्ट्रीय सैन्य दल की जानकारी के मुताबिक, 15 नवंबर को भारत की डोर्नियर विमान की सहायता से एक 81 साल के बुजुर्ग को एल. गान रिजिनल अस्पताल से माले सिटी के एक अस्पताल में लाया गया. इसके अलावा 14 नवंबर को भी एक बुजुर्ग महिला को डोर्नियर विमान की मदद से अस्पताल पहुंचाया गया. 13 नवंबर को एक 24 साल के लड़के को गंभीर हालत में इसी विमान से अस्पताल ले जाया गया. इसी रोज एक महिला को भी विमान से अस्पताल भेजा गया. 6 नवंबर को 25 साल के लड़के को अब्दुल समद अस्पताल से माले शहर ले जाया गया.
मालदीव में कितने भारतीय सैनिक?
मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय के सार्वजनिक नीति के अवर सचिव मोहम्मद फिरोज़ुल अब्दुल खलील ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हमारे देश में 77 भारतीय सेना मौजूद हैं. अब्दुल खलील के मुताबिक, डोर्नियर विमान के रखरखाव के लिए 25 भारतीय सैनिक हैं, जबकि दो हेलीकॉप्टर के लिए 50 भारतीय सैनिक हैं. तीनों विमानों के लिए 2 अतिरिक्त सैनिक मौजूद हैं जो टेक्निकल सपोर्ट देते हैं.
भारतीय सैनिकों के खिलाफ क्यों है मालदीव?
भारत ने मालदीव की सरकार को एयरक्राफ्ट, हेलिकॉफ्टर और टोही विमान दिए हैं. इसकी मदद के लिए कुछ भारतीय सैनिक भी मालदीव में रहते हैं. टोही विमान से मालदीव के समुद्री इलाके पर नजर रखी जाती है, इस निगरानी ऑपरेशन में भारत-मालदीव मिलकर काम करते हैं, लेकिन देश की जनता को ये खुफिया गतिविधि लगती है. इसका फायदा उठाते हुए मोहम्मद मुइज्जु ने चुनाव से पहले मालदीव की जनता को वादा किया था कि वह चुनाव जीतते ही 'संप्रभुता की रक्षा' की खातिर भारतीय सैनिकों को वापस भेजे देंगे.
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