माले: मालदीव में सत्ता और सुप्रीम कोर्ट के बीच मचे घमासान में एक नया ट्विस्ट आ गया है. सुप्रीम कोर्ट ने विपक्षी नेताओं को रिहाई का अपना फैसला वापस ले लिया है. जिसकी वजह से मालदीव की सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच तनातनी शुरू हो गई थी.


राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन ने 5 फरवरी को इमरजेंसी की घोषणा कर दी. अब इन सबके बीच पूर्व राष्ट्रपति नशीद ने भारत से सैन्य दखल की मांग की है.

दरअसल मालदीव के सुप्रीम कोर्ट ने एक फरवरी को अपने फैसले में पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद को आतंकवाद के आरोपों से बरी कर दिया था. साथ ही नौ राजनीतिक बंदियों की रिहाई का आदेश दे दिया. जिसके बाद नशीद और उनके समर्थक मौजूदा राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग करने लगे.

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद यमीन ने आपातकाल की घोषणा कर दी. पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल गयूम को गिरफ्तार कर लिया गया. साथ ही सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश समेत दो जजों को भी गिरफ्तार कर लिया गया. इन सबके बाद अब सुप्रीम कोर्ट के बाकी तीन जजों ने सरकार से टकराव वाले अपने फैसले को पलट दिया है. यानी विपक्षी नेताओं की रिहाई नहीं होगी.

फिलहाल लंदन में रह रहे पूर्व राष्ट्रपति नशीद ने इस पर कड़ा एतराज जताया है. इतना ही नहीं नशीद ने मालदीव में पैदा हुए राजनीतिक संकट को सुलझाने के लिए भारत से सैन्य दखल की अपील की है.

भारतीय विदेश मंत्रालय भी हालात पर नजर बनाए रखने की बात कर रहा है. बता दे कि साल 1988 में राजीव गांधी की सरकार के दौरान तमिल विद्रोहियों के खिलाफ मालदीव की जमीन पर भारतीय सेना ने कामयाब ऑपरेशन को अंजाम दिया था.

मालदीव में दोबारी वैसी ही कार्रवाई के लिए भारत के भीतर इस वजह से भी आवाज उठ रही है, क्योंकि नशीद को भारत का समर्थक माना जाता है. जबकि मौजूदा राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन को चीन का करीबी.

4 लाख की आबादी वाला देश मालदीव भौगोलिक लिहाज से भारत के लिए काफी अहम है. मालदीव में विकास योजनाओं के नाम पर चीन काफी पैसे लगा रहा है 2011 तक मालदीव में चीन की एंबेंसी भी नहीं थी. लेकिन अब चीन मालदीव में मिलिट्री बेस बनाने की तैयारी में है, जो भारत के लिए खतरा पैदा कर सकता है. मालदीव चीन की महत्वकांक्षी योजना वन बेल्ट वन रूट का हिस्सा भी है.