Man Of The Hole: ब्राजील की जनजाति के आखिरी इंसान की भी गई जान, कहा जाता था मैन ऑफ द होल
Man Of The Hole Died: साल 1998 में अचानक से एक वीडियो में ब्राजील की जनजाति (Tribe) का यह आखिरी आदमी दिखाई पड़ा था. इसकी मौत के बाद दुनिया से इस जनजाति का अस्तिव भी सदा के लिए खत्म हो गया है.
Brazil's Lonely Man Of The Hole Died: दुनिया के सबसे अकेले आदमी की मौत हो गई है. ब्राजील (Brazil) में अपनी जनजाति का ये आखिरी शख्स भी दुनिया को अलविदा कह गया. इसी के साथ ही दुनिया से इस जनजाति का अस्तिव भी पूरी तरह से मिट गया है. इस आदमी को मैन ऑफ द होल (Man of the Hole) के नाम से जाना जाता था. उसे ये नाम उसके गड्ढे खोदकर शिकार करने की आदत की वजह से दिया गया था. साल 1988 में इत्तेफाक से ये एक वीडियो में दिखाई पड़ गया था. इसके बाद से इसे किसी ने नहीं देखा था. 26 साल से यह शख्स अकेला रह रहा था.
कैसे पड़ा द मैन ऑफ़ द होल नाम
द मैन ऑफ़ द होल (1960 - अगस्त 2022) को "इंडियन ऑफ़ द होल" तौर पर भी भी जाना जाता है. ये ब्राज़ील का एक स्वदेशी आदमी था. ये अमेज़न के वर्षावन (Amazon Rainforest) में अकेला रहता था. माना जाता है कि वह अपने गोत्र का आखिरी सदस्य था. हालांकि इस बारे में कोई जानकारी नहीं कि वह कौन सी भाषा बोलते था या उनके कबीले को क्या कहा जाता था. शब्द "मैन ऑफ द होल" एक उपनाम है जिसका इस्तेमाल अधिकारी और मीडिया करते हैं. इस स्वदेशी समूह (Indigenous Group) का असली नाम किसी को नहीं मालूम था. ब्राजील के अधिकारियों के मुताबिक ये आदमी एक बगैर संपर्क के रहने वाले स्वदेशी समूह (Uncontacted Indigenous Group) का आखिरी बचा सदस्य था.
इसकी मौत होने से इस जनजाति का पूरी तरह से खात्मा हो गया. इस शख्स के असली नाम के बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है. इस इंसान ने 26 साल अमेजन के वर्षा वनों में बगैर किसी के संपर्क में रहे अकेले ही काट डाले. उन्हें मैन ऑफ द होल (Man of the Hole) के तौर पर जाना जाता था क्योंकि उसने गहरे गड्ढे खोदे थे. वह इन गड्ढों को छिपने और जानवरों का शिकार करने के लिए इस्तेमाल करता था. उसका शव 23 अगस्त को उसकी भूसे की झोपड़ी के बाहर एक झूले में मिला था. उसके साथ हिंसा के कोई संकेत नहीं थे.
27 साल पहले मारे गए थे कबीले के लोग
द मैन ऑफ़ द होल एक स्वदेशी समूह का आखिरी व्यक्ति था. इसके कबीले के शेष बचे छह सदस्य 1995 में मारे गए थे. यह समूह रोन्डोनिया (Rondonia) राज्य में तनारू स्वदेशी क्षेत्र (Tanaru Indigenous) में रहता था. यह इलाका बोलीविया (Bolivia) की सीमा में है. माना जाता है कि इस जनजाति के अधिकांश लोगों को 1970 के दशक की शुरुआत में अपनी भूमि को बढ़ाने के लिए किसानों ने मौत के घाट उतार दिया था.
माना जाता है कि "मैन ऑफ द होल" की उम्र लगभग 60 साल थी और उसकी मौत प्राकृतित तरीके से हुई है. ब्राजील के अधिकारियों के मुताबिक इस स्वदेशी आदमी के इलाके में किसी भी तरह की घुसपैठ के कोई संकेत नहीं पाए गए. इसके साथ ही उसकी झोपड़ी में भी किसी भी तरह की तोड़-फोड़ या किसी के जबरन घुसने के कोई निशान नहीं थे. हालांकि पुलिस फिर भी द मैन ऑफ़ द होल की पोस्टमार्टम जांच करेगी.
ब्राजील का संविधान और जनजाति समूह
ब्राजील के संविधान (Constitution) के तहत स्वदेशी लोगों को उनकी पारंपरिक भूमि पर अधिकार दिया गया है. इसलिए जो इन लोगों की भूमि को कब्जाना या जब्त करना चाहते हैं वह इन जनजातियों को खत्म कर डालते हैं. यही वजह रही की साल1996 से ब्राज़ील की स्वदेशी मामलों की एजेंसी- फुयनाई (Indigenous Affairs Agency -Funai) के एजेंटों ने "मैन ऑफ़ द होल" की सुरक्षा के लिए उसकी निगरानी की थी. साल 2018 में फुयनाई के सदस्य को ही जंगल में इत्तेफाकन ये आदमी दिखाई पड़ गया था और वह इसका वीडियो बनाने में कामयाब हो पाए.
इस वीडियो में द मैन ऑफ़ द होल एक पेड़ को कुल्हाड़ी जैसी किसी चीज काटते हुए देखा जा सकता है. इसके बाद से इसे किसी ने नहीं देखा था. लेकिन फुयनाई एजेंट उसकी पुआल से बनी झोंपड़ियों और उसके खोदे गहरे गड्ढों की लगातार निगरानी करते रहे.उनमें से कुछ गड्ढों की तली को नोकदार बनाया गया था. इनको ये शख्य शायद जानवरों के शिकार करने वाले जाल की तरह इस्तेमाल करता रहा होगा. कुछ लोग मानते हैं कि द मैन ऑफ़ द होल बाहरी लोगों के आने पर इन गड्ढों को छुपने के लिए इस्तेमाल करता होगा. उसकी झोपड़ियों और शिविरों से मिले सबूतों से पता चलता है कि उसने मक्का, कसावा, पपीता और केले जैसे फल भी लगाए थे.
ब्राजील की जनजातियां हैं खतरे में
ब्राजील में लगभग 240 स्वदेशी जनजातियां (Indigenous Tribes) हैं. इनमें से कई खतरे में हैं क्योंकि अवैध खनिक, लकड़हारे और किसान इनके इलाकों में अतिक्रमण करते रहते हैं. स्वदेशी लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले सर्वाइवल इंटरनेशनल (Survival International) ने चेतावनी दी है कि इस तरह के अतिक्रमण इन जनजाति समूहों के लिए गंभीर खतरा हैं.
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