पाकिस्तानी गांव की मिट्टी, पानी, फोटो और 100 साल पुराना शॉल... जब मनमोहन से मिलने सरहद पार से आए थे दोस्त
मोहम्मद राजा अली ने कहा कि मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री बनने पर पूरे गांव में जश्न मनाया गया था और उनके स्कूल का नाम भी बदलकर मनमोहन सिंह के नाम पर रख दिया गया था.
भारत-पाकिस्तान बंटवारे के वक्त दोनों देशों के लाखों लोगों को रातोंरात मुल्क छोड़कर भागना पड़ा. इस दौरान इन लोगों को सिर्फ अपना घर ही नहीं छोड़ना पड़ा बल्कि उनका पड़ोस, दोस्त और रिश्तेदार भी छूट गए. ऐसी ही कहानी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की भी है. 26-27 दिसंबर की रात को मनमोहन सिंह का निधन हो गया, जिसके बाद से उनके पाकिस्तानी दोस्त राजा मोहम्मद अली भी चर्चा में आ गए हैं.
मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर, 1932 को पंजाब प्रांत के गाह में हुआ था, जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है. बंटवारे के वक्त मनमोहन भारत आ गए और उनके दोस्त राजा मोहम्मद अली पाकिस्तान में ही छूट गए. बिछड़ने के 6 दशक बाद दोनों दोस्तों को मिलने का मौका मिला और राजा अली भारत अपने बचपन के दोस्त से मिलने आए. मनमोहन सिंह साल 2004 में पहली बार प्रधानमंत्री बने थे तो ये सुनकर राजा मोहम्मद अली बहुत खुश हुए और उन्होंने मनमोहन से मिलने के लिए दिल्ली आने का इरादा किया. वह चार साल बाद मई, 2008 में भारत आए.
मनमोहन और राजा अली पाकिस्तान के प्राइमरी स्कूल में साथ पढ़ते थे और राजा अली अपने दोस्त को प्यार से 'मोहना' कहते थे. इस मुलाकात के दौरान दोनों अपने सेवनटीज में थे. राजा अली मनमोहन के लिए गाह गांव की मिट्टी, पानी, एक जोड़ी जूते और गांव की फोटो लेकर आए थे. साथ ही उन्होंने मनमोहन सिंह को 100 साल पुराना शॉल और उनकी पत्नी गुरुशरण कौर को दो सलवार-कमीज सूट दिए थे. मनमोहन सिंह ने उन्हें रिटर्न गिफ्ट में पगड़ी, शॉल और टाइटन की घड़ी दी थी.
पाकिस्तानी अखबार द डॉन के अनुसार राजा अली ने भारत आने से पहले रिपोर्टर्स से कहा था, 'मुझे भरोसा है कि मनमोहन मेरे साथ जरूर समय बिताएंगे.' उन्होंने बताया था कि दोनों साथ स्कूल ही स्कूल में पढ़ते थे और मोहल्ले में साथ खेलते थे. राजा अली ने बचपन के दिन याद करते हुए कहा था, 'मनमोहन पढ़ने में बहुत तेज थे और वह जब स्कूल आते थे तो जेब में ड्राई फ्रूट भरकर लाते थे और फिर दोस्तों में बांट देते थे.'
उन्होंने कहा था कि मोहना के प्रधानमंत्री बनने से पूरा गांव बहुत खुश था और जब उनके पीएम बनने की खबर मिली तो उनके गांव गाह में जश्न मनाया गया था. इतना ही नहीं उनके स्कूल का नाम भी बदलकर मनमोहन सिंह हाई स्कूल कर दिया गया. राजा अली ने बताया कि उनकी क्लास में सिर्फ एक ही लड़की थी, जिसका नाम बख्त बानो था. जब बख्त बानो का निधन हुआ था तो मनमोहन सिंह ने राजा अली को फोन किया था. एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार साल 2010 में राजा अली का निधन हो गया था. तब उनकी उम्र 78 साल थी.
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