रूस-यूक्रेन युद्ध पर बोले थे मनमोहन सिंह- महात्मा गांधी के राष्ट्र के रूप में भारत को अहिंसा का साथ ही रहना चाहिए
Manmohan Singh Death: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हमेशा दुनिया में हो रही हलचल के बारे में जानकारी रखते थे और अपनी प्रतिक्रिया देते थे.

Manmohan Singh Death: भारत के पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का गुरुवार (26 दिसंबर) को निधन हो गया. वो 92 साल के थे. उन्होंने एम्स में अंतिम सांस ली. वो काफी लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे. उन्हें कल अचानक सांस संबंधी तकलीफों का सामना करना पड़ा, जिसके बाद उन्हें रात को 8 बजे एम्स ले जाया गया. हालांकि, डॉक्टरों की लाख कोशिशों के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका. इस बीच उनके बारे में पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है. उनके द्वारा कही गई कई सारी बातों का जिक्र भी किया जा रहा है.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हमेशा दुनिया में हो रही हलचल के बारे में जानकारी रखते थे और प्रतिक्रिया देते थे. कुछ ऐसा ही उन्होंने साल 2022 के द हिंदू में लिखे अपने लेख में किया था. उस वक्त उन्होंने रूस-यूक्रेन संघर्ष पर अपनी राय दी थी. उन्होंने यूक्रेन में संघर्ष और हिंसा के वैश्विक विकास पर दुख व्यक्त किया था. उन्होंने लिखा था कि महात्मा गांधी के राष्ट्र के रूप में भारत को घर और दुनिया दोनों में शांति और अहिंसा के प्रति प्रतिबद्ध होना चाहिए. इसका दूत होना चाहिए.
असैन्य परमाणु समझौते पर मनमोहन सिंह की जीत
विदेश नीति से जुड़े मामले पर मनमोहन सिंह काफी पकड़ रखते थे. प्रधानमंत्री के तौर पर अपने 10 साल के कार्यकाल के दौरान डॉ सिंह ने साल 2008 में अमेरिका के साथ ऐतिहासिक असैन्य परमाणु समझौता किया था. जो देश नीति के क्षेत्र में मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल का गौरवशाली क्षण माना जाता है. इस ऐतिहासिक समझौते ने न केवल देश के साथ परमाणु भेदभाव को समाप्त किया, बल्कि वैश्विक पटल पर एक अनुकूल भू-राजनीतिक संरचना का भी निर्माण किया था. तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस ऐतिहासिक समझौते के भविष्य के परिणामों के बारे में इतने आश्वस्त थे कि उन्होंने इसे मजबूती से आगे बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प दिखाया.
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