वॉशिंगटन: अमेरिका में संघीय अधिकारियों ने पिछले दो दिन में अनेक छापे मार कर आठ भारतीय या भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक को गिरफ्तार किया है. ये लोग मेट्रो डेट्रॉइट इलाके के एक कथित फर्जी विश्वविद्यालय में छात्र के रूप में पंजीकृत थे और देश भर में काम कर रहे थे. छात्रों का प्रत्यर्पण किया जा सकता है. अमेरिकी आव्रजन और सीमाशुल्क प्रवर्तन (आईसीई) विभाग ने ये छापे कोलंबस, ह्यूस्टन, अटलांटा, सेंट लुईस, न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी आदि शहरों में मारे.


आईसीई ने गिरफ्तारी से जुड़े सवालों और इसके कारणों को लेकर तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. रेड्डी और न्यूमैन समूह के आव्रजन अटॉर्नी ने अपनी वेबसाइट पर पोस्ट किए गए एक बयान में कहा कि उसे रिपोर्ट मिली हैं कि आईसीई ने बुधवार सुबह मिशिगन स्थित फार्मिंगटन विश्वविद्यालय द्वारा अधिकृत पाठ्यक्रम व्यावहारिक प्रशिक्षण (सीपीटी) डे-1 के छात्रों के काम करने की जगहों पर छापेमारी की है. सीपीटी अमेरिका में विदेशी (एफ-1) छात्रों को रोजगार के लिये दिया जाने वाला विकल्प है. कुछ विश्वविद्यालय विदेशी छात्रों को यह विकल्प मुहैया कराते हैं.


हिरासत में लिए गए लोग या तो भारतीय नागरिक हैं या भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक हैं. इन सभी की उम्र 30 वर्ष के आसपास है. गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान काकी रेड्डी, सुरेश कंडाला, पाणीदीप कर्नाटी, प्रेम रामपीसा, संतोष सामा, अविनाश थक्कलापल्ली, अश्वंत नुणे और नवीन प्रतिपति के रूप में हुई है.


हालांकि आईसीई ने उनकी नागरिकता का खुलासा नहीं किया है. आईसीई ने एक बयान में बताया कि इनमें से छह को डेट्रॉइट इलाके से जबकि अन्य दो को वर्जीनिया और फ्लोरिडा से हिरासत में लिया है. विशेष एजेंट चार्ज फ्रांसिस ने बताया कि इन संदिग्धों ने सैकड़ों विदेशी नागरिकों को छात्र के रूप में दिखाकर उन्हें गैरकानूनी तरीके से अमेरिका में रहने में मदद की जबकि ज्यादातर लोग छात्र नहीं थे.


उन्होंने कहा, ‘‘होमलैंड सुरक्षा के विशेष जांच एजेंटों ने देशव्यापी एक नेटवर्क का खुलासा किया है जिसने अमेरिका आव्रजन कानूनों का घोर उल्लंघन किया.’’ साल 2016 में आईसीई ने नॉर्दन न्यू जर्सी के एक फर्जी विश्वविद्यालय के लिए ऐसे ही आरोपों पर करीब 21 लोगों को गिरफ्तार किया था.


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