शंघाई: वुहान में रहस्यमयी नये वायरस की शुरुआती खबरों के कुछ हफ्तों बाद, लाखों लोग मध्य चीन के शहर से बसों, ट्रेनों और विमानों में भर कर बाहर जाने लगे. देश में चीनी नववर्ष के मौके पर लोगों के पलायन की पहली लहर चल पड़ी थी. इनमें से कुछ अपने साथ इस नये वायरस को लेकर गए जिसने तब से अब तक 800 से अधिक लोगों की जान ले ली और 37,000 से अधिक लोगों को बीमार कर दिया है.


अधिकारियों ने अंतत: 23 जनवरी को सीमाओं को बंद करना शुरू किया था. लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. शहर को पूरी तरह अलग-थलग करने के कुछ दिनों बाद शहर के मेयर ने संवाददाताओं को बताया था कि 50 लाख लोग पहले ही शहर से बाहर जा चुके हैं.


लेकिन वे कहां गए?


इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए एजेंसी ने चीन में प्रौद्योगिकी की दिग्गज कंपनी बाइदू के लोकेशन डेटा का इस्तेमाल कर घरेलू यात्रा के स्वरूप के विश्लेषण में पाया कि मध्य चीनी शहर के करीब 70 प्रतिशत यात्राएं हुबेई प्रांत के भीतर थी. बाइदू मैप ऐप है जो गूगल मैप्स से मिलता-जुलता है, जिसके प्रयोग पर चीन में रोक है.


अन्य 14 प्रतिशत यात्राएं पड़ोस के प्रांतों- हेनान, हुनान, अनहुई और जियांगशी में हुईं. करीब दो प्रतिशत लोग गुआंगदोंग प्रांत गए और बाकी चीन से बाहर गए. हुबेई प्रांत के बाहर वुहान से 10 जनवरी से 24 जनवरी के बीच लोग सबसे ज्यादा चोंगकिंग, बीजिंग और शंघाई गए.


यात्रा का यह स्वरूप मौटे तौर पर वायरस के शुरुआती प्रसार का पता लगाने की कोशिश करता है. ज्यादातर पुष्ट मामले और मौतें चीन में हुबेई प्रांत के भीतर हुई. इसके बाद मध्य चीन में सबसे ज्यादा मामले सामने आए वहीं चोंगकिंग, शंघाई और बीजिंग में भी संक्रमण के मामले देखे गए.


वायरस का सबसे ज्यादा असर वुहान में


कोरोना वायरस से मरने वाले लोगों में से 65 लोगों की मौत हुबेई में हुई है. बताया जा रहा है कि कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा असर चीन के वुहान शहर में देखने को मिला है. हुबेई में सपोर्ट के लिए 2000 नर्सों को लगाया गया है.


चीनी समाचार एजेंसी ‘शिन्हुआ’ की एक खबर के अनुसार शनिवार को 600 लोगों को इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई. जिनमें से 324 लोग हुबेई के थे. अमेरिका ने कोरोना वायरस से प्रभावित चीन और अन्य देशों को इस महामारी से लड़ाई के लिए 10 करोड़ डॉलर की मदद की पेशकश की है.


आपको बता दें कि अभी भी चीन के वुहान में 80 भारतीय नागरिक मौजूद हैं. इनमें से 70 लोगों ने अपनी मर्जी से वहां रहने का फैसला किया है. वहीं 10 लोग ऐसे हैं जिन्हें वापस आने की इजाजत इसलिए नहीं दी गई है क्योंकि उनमें कोरोना वायरस के लक्षण देखे गए हैं.


मास्क की भारी कमी


वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के प्रमुख ने शुक्रवार को चेतावनी दी कि, कोरोना वायरस को फैलने से रोकने वाले मास्क और अन्य सुरक्षा उपकरणों की दुनिया भर में कमी हो रही है. उधर नेपाल ने कोरोना वायरस के प्रकोप से जूझ रहे चीन को एक लाख सुरक्षा मास्क दिए है. चीन में मास्क की कमी होने के बाद नेपाल ने मास्क देने का फैसला लिया था.


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