Marwa Elselehdar: जानिए- उस लड़की को जिसपर मिस्र की स्वेज नहर में जहाज फंसाने का लगा आरोप
23 मार्च को स्वेज नहर के रास्ते नीदरलैंड जा रहा मालवाहक पोत एवर गिवन असंतुलित होकर किनारे की रेत में धंस गया था. बीएसएम कम्पनी के मुताबिक, प्रारंभिक जांच से पता चला कि इलाके में चली तेज हवाओं के कारण हादसा पेश आया. जहाज के स्वेज नहर में फंसे रहने से कई मुल्कों की अर्थव्यवस्था के डगमगाने का खतरा पैदा हो गया था. हफ्तेभर की मशक्कत के बाद जहाज को निकाल तो लिया गया, लेकिन एक महिला कैप्टन को इस दौरान कुछ अलग अनुभव से गुजरना पड़ा .
मिस्र की स्वेज नहर में छह दिन से फंसे विशाल कार्गो जहाज के निकलने के बाद दुनिया ने राहत की सांस ली थी. 'Ever Given' नाम का ये मालवाहक जहाज नहर से तो निकल गया, लेकिन इस दौरान जहाज की पहली मिस्री महिला कैप्टन मारवा एलसेलेहदर को फर्जी खबरों से सामना करना पड़ा. इसे लेकर एलसेलेहदर को इतनी परेशानी आई कि उसे अपनी तरफ से सफाई देनी पड़ी.
स्वेज नहर ब्लॉकेज प्रकरण में क्या एक महिला की भूमिका थी?
उन्होंने कहा, "मैंने अपना फोन चेक किया तो हैरान रह गई. ऑनलाइन फैल रही अफवाों में संकट का जिम्मेदार मुझे बताया जा रहा था." स्वेज ब्लॉकेज के समय मारवा की भूमिका पर अफवाहों का बाजार गर्म था. एक झूठी खबर की हेडलाइन के स्क्रीनशॉट शेयर किए जा रहे थे, जिसमें उनको स्वेज प्रकरण के साथ जुड़ा दिखाया जा रहा था. मिस्र की पहली महिला कैप्टन की तस्वीर को दर्जनों बार ट्विटर और फेसबुक पर शेयर किया गया. गलत तस्वीर अरब न्यूज की 22 मार्च को प्रकाशित सच्ची स्टोरी से ली गई थी, जिसमें उसे मिस्र की पहली सफल महिला कैप्टन के तौर पर बताया गया था.
29 वर्षीय मारवा ने बीबीसी को बताया कि उन्हें नहीं मालूम पहले किसने कहानी फैलाई और क्यों उन्होंने ऐसा किया. उन्होंने कहा, "मैंने महसूस किया कि मुझे निशाना बनाने के पीछे इस क्षेत्र में मेरा कामयाब महिला होना या मिस्री होना है, लेकिन पुख्ता तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता." ये पहली बार नहीं है जब उन्होंने ऐतिहासिक रूप से पुरुषों के वर्चस्व वाले पेशे में चुनौतियों का सामना किया हो. अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन के मुताबिक, दुनिया के नाविकों की संख्या में रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं का मात्र 2 फीसद योगदान है.
मिस्र की पहली महिला कैप्टन ने सुनाई फर्जी खबर की कहानी
उनका कहना है कि उन्हें समुद्र हमेशा से पसंद था और भाई के दाखिले के बाद व्यापारिक बेड़े में शामिल होने की प्रेरणा मिली. पढ़ाई के दौरान उन्हें हर मोड़ पर लिंग भेद का सामना करना पड़ा. उन्होंने बताया, "जहाज पर बड़ी उम्र के विभिन्न मानसिकता वाले लोग होते थे, इसलिए मन मुताबिक लोगों के साथ संवाद बनाने में सक्षम होना मुश्किल था." उनके लिए स्थिति का अकेले मुकाबला करना और अपनी मासिक सेहत पर असरअंदाज न होने देना चुनौतीपूर्ण था.
उन्होंने कहा, "हमारे समाज में लोग अभी भी लंबे समय तक परिवार से दूर समुद्र में लड़कियों के काम करने को स्वीकार नहीं करते हैं. लेकिन जब आप एक बार अपनी पसंद के काम को करने का फैसला कर लेते हैं, तब आपके लिए जरूरी नहीं है कि हर किसी से मंजूरी हासिल की जाए." ट्रेनिंग पूरी करने के बाद मारवा को मिस्री जहाज एडा फोर की कप्तानी का मौका उस वक्त मिला जब 2015 में नव विस्तार स्वेज नजह पर जानेवाला पहला जहाज बना. उस वक्त समुद्री रास्ते को पार करनेवाली महिला सबसे कम उम्र और मिस्र की पहली कप्तान थी. 2017 में उन्हें राष्ट्रपति अब्दुल फत्ताह अल-सीसी के हाथों महिला दिवस के मौके पर सम्मान मिला था.
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