यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट्रल फ्लोरिडा में कुछ जांचकर्ताओं ने एक रिसर्च में पाया कि कोरोना वायरस को रोकने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग की जगह पर अगर अच्छे वेंटिलेशन की व्यवस्था की जाए और मास्क को लगाया जाए तो 50% तक वायरस को कम किया जा सकता है. जांचकर्ताओं के मुताबिक वेंटिलेशन सिस्टम और मास्क का इस्तेमाल ट्रांसमिशन को रोकने के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना गया है. इसी के चलते से भी माना गया है कि वायरस को रोकने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग की जरूरत नहीं है. इस पर रिसर्च करने के लिए जांचकर्ताओं ने कंप्यूटर मॉडलिंग का इस्तेमाल कर शिक्षक और छात्रों के साथ एक कक्षा बनाई. जिसमें एयरफ्लो और बीमारी के प्रसार को संशोधित किया और एयरबोर्न ट्रांसमिशन की जांच की गई.


एक मॉडल बना कर किया गया परीक्षण


ये मॉडल आकार में एक छोटे विश्वविद्यालय की कक्षा के समान था जो 9 फुट ऊंची छत के साथ 709 वर्ग फीट में बना था. वहीं इस मॉडल के छात्र और शिक्षक सभी मास्क लगाए हुए थे. वहीं छात्रों में से कोई भी बीमारी से संक्रमित हो सकता था. जिसके बाद विश्लेषण में पाया गया कि मॉडल में दो कमरे हैं एक वेंटिलेशन के साथ और एक बिना वेंटिलेशन का कमरा है जिसमें जांचकर्ताओं ने पाया कि मास्क सीधे एयरोसोल जोखिम को रोकने में फायदेमंद था और वेंटिलेशन वाले कमरे ने कोरोना के संक्रमण को 50% तक फैलने से रोका है.


मास्क और वेंटिलेशन से कम हो सकता है वायरस


रिसर्च में पाया गया है कि अगर मास्क पहनने के दौरान संक्रमण की जांच की जाए तो ये संक्रमण को बढ़ने नहीं देगा. इसलिए स्कूल और अन्य व्यवसायों में जाने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग की नहीं बल्कि मास्क की जरूरत है. वहीं वेंटिलेशन सिस्टम की वजह से होने वाले एयरफ्लो का निरंतर प्रवाह हवा को प्रसारित करता है जिससे संक्रमण का खतरा कम हो जाता है.


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