इस्लामाबादः पाकिस्तान के कट्टरपंथी धार्मिक नेता मौलाना फजलुर रहमान ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री इमरान खान को इस्तीफा देने के लिए दो दिन की मोहलत दी. उन्होंने खान को ‘पाकिस्तान का गोर्बाचोव’ बताते हुए कहा कि वह शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के सयंम की परीक्षा लिए बिना पद छोड़ दें. इमरान खान सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए शुरू आजादी मार्च के यहां पहुंचने पर आयोजित रैली को संबोधित करते हुए रहमान ने कहा कि ‘संस्थाओं’ को नहीं बल्कि केवल पाकिस्तान के लोगों को इस देश पर शासन करने का अधिकार है.
दक्षिणपंथी जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल (जेयूआई-एफ) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने 27 अक्टूबर को अन्य विपक्षी दलों के नेताओं के साथ दक्षिणी सिंध प्रांत से “आजादी मार्च” शुरु किया था जो गुरुवार को इस्लामाबाद पहुंचा. इस रैली में रहमान के अलावा पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और अवामी नेशनल लीग के नेता शामिल हुए.
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रहमान ने कहा, ‘25 जुलाई का चुनाव फर्जी है. हम न तो उसके नतीजों को स्वीकार करते हैं और न ही उस सरकार को जो उस चुनाव के बाद आई. पिछले एक साल से यह सरकार है लेकिन अब हम इसे और अधिक नहीं चाहते.’ उन्होंने कहा, ‘खान के नेतृत्व वाली तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी की सरकार ने अर्थव्यस्था को तबाह कर दिया है और देश के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया है.’ रहमान ने कहा, ‘पाकिस्तान के गोर्बाचेव को जाना ही होगा. हमनें खान को इस्तीफा देने के लिए दो दिन का समय दिया है अगर ऐसा नहीं होता तो हम भविष्य तय करेंगे.’
उन्होंने कहा, ‘प्रदर्शनकारी शांत हैं लेकिन उनके संयम की परीक्षा नहीं ली जानी चाहिए. रहमान ने समर्थकों से अपील की कि वे इमरान के इस्तीफे तक इस्लामाबाद में जमे रहे.’रहमान ने कहा कि मोहलत के बावजूद मांग नहीं पूरी होने की स्थिति में विपक्षी दलों और प्रदर्शनकारियों से परामर्श कर आगे की रणनीति तय की जाएगी. उन्होंने शक्तिशाली संस्थाओं (सैन्य बलों) को इस स्थिति में तटस्थ रहने की अपील की.
जमीयत प्रमुख ने कहा, ‘हम संस्थाओं से टकराव नहीं चाहते लेकिन उन्हें तटस्थ देखना चाहते हैं. हम संस्थाओं को विचार करने के लिए दो दिन का समय देते हैं और अगर इसके बावजदू वे इस सरकार का समर्थन जारी रखेंगे तो उसके बाद हम उन संस्थाओं के प्रति अपने विचार तय करेंगे.’ रहमान ने सरकार की कश्मीर नीति की आलोचना करते हुए कश्मीरियों को उनके हाल पर छोड़ देने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि सरकार करतारपुर गलियारा खोलकर भारत के साथ दोस्ती कर रही है.
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पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के अध्यक्ष शाहबाज शरीफ ने रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘समय आ गया है कि इस फर्जी सरकार से मुक्ति मिले. हम इमरान खान नियाजी को तब तक नहीं छोड़ेंगे जब तक कि पाकिस्तान उनसे मुक्त नहीं हो जाता.’ शाहबाज शरीफ ने कहा, ‘हमने इस सरकार से मुक्ति के लिए अभियान शुरू किया है और अब इसे मुकाम तक ले जाएंगे.’ उन्होंने दावा किया कि मौका मिलने पर एकजुट विपक्ष देश की अर्थव्यवस्था को छह महीने में स्थिर करके दिखाएगा.
अवामी नेशनल पार्टी नेता मियां इफ्तिखार हुसैन ने कहा कि विपक्षी पार्टियां तब तक चुप नहीं बैठेंगी जब तक कि तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी को घर नहीं भेज दिया जाता. प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी प्रमुख बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा कि इमरान खान कठपुतली हैं और देश चयनित प्रधानमंत्री और उनका चयन करने वालों के सामने सिर झुकाने को तैयार नहीं है. बिलावल ने कहा, ‘हम इस चयनित सरकार को स्वीकार नहीं करेंगे. इस सरकार द्वारा किया गया हर काम जनविरोधी है.’
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उन्होंने इसके साथ ही कहा कि इमरान सरकार ने भारत को कश्मीर बेच दिया है जो लोगों को अस्वीकार्य है. बिलावल ने कहा कि इमरान खान की जीत सुनिश्चित करने के लिए सेना ने पिछले साल मतदान केंद्रों के भीतर और बाहर सैनिकों की तैनाती की थी. वहीं इस्लामाबाद में प्रदर्शन से बेपरवाह प्रधानमंत्री इमरान खान ने गिलगित-बाल्टिस्तान में जनसभा को संबोधित किया. उन्होंने पत्रकारों से कहा कि इस्लामाबाद में जब प्रदर्शनकारियों का खाना खत्म हो जाएगा तब वह और रसद भेजेंगे लेकिन उनके नेताओं को यह मदद स्वीकार नहीं करनी चाहिए.