MEA On US Sanctions: विदेश मंत्रालय ने शनिवार (दो नवंबर) को अमेरिका की ओर से कई भारतीय कंपनियों और नागरिकों पर हाल ही में लगाए गए प्रतिबंधों पर प्रतिक्रिया दी है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि निर्यात नियंत्रण प्रावधानों पर भारतीय कंपनियों को संवेदनशील बनाने के लिए सभी प्रासंगिक विभागों और एजेंसियों के साथ काम कर रहे हैं. भारतीय कंपनियों ने किसी भी राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन नहीं किया है और नई दिल्ली मुद्दों को स्पष्ट करने के लिए अमेरिकी अधिकारियों के संपर्क में है. भारत के पास रणनीतिक व्यापार और अप्रसार नियंत्रण पर एक मजबूत कानूनी और नियामक ढांचा है.


रणधीर जायसवाल ने कहा, "हम तीन प्रमुख बहुपक्षीय अप्रसार निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं - वासेनार व्यवस्था और ऑस्ट्रेलिया समूह (एजी) और मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) के सदस्य भी हैं और अप्रसार पर प्रासंगिक यूएनएससी प्रतिबंधों और यूएनएससी प्रस्ताव 1540 को प्रभावी ढंग से लागू कर रहे हैं.


भारतीय कानूनों का उल्लंघन नहीं करती कंपनियां 


जायसवाल ने कहा, "हमारी समझ यह है कि प्रतिबंधित लेनदेन और कंपनियां भारतीय कानूनों का उल्लंघन नहीं करती हैं. फिर भी, भारत की स्थापित अप्रसार साख को ध्यान में रखते हुए, हम सभी संबंधित भारतीय विभागों और एजेंसियों के साथ मिलकर भारतीय कंपनियों को लागू निर्यात नियंत्रण प्रावधानों के बारे में जागरूक करने के साथ-साथ लागू किए जा रहे नए पैमाने के बारे में भी इन्फॉर्म कर रहे हैं. जो  कुछ परिस्थितियों में भारतीय कंपनियों को प्रभावित कर सकते हैं." 


अमेरिका ने भारत की 19 कंपनियां बैन कीं


अमेरिकी विदेश विभाग की ओर से 19 भारतीय कंपनियों और दो व्यक्तियों पर कार्रवाई करते हुए कई देशों की लगभग 400 संस्थाओं और व्यक्तियों की सूची में डाल दिया गया है. इन पर यूक्रेन में चल रहे युद्ध के दौरान रूस को सामग्री और प्रौद्योगिकी की सहायता करने का आरोप है. अमेरिका की यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है, जब अमेरिकी धरती पर सिख अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नून की हत्या की साजिश में एक भारतीय नागरिक की भूमिका के आरोपों के कारण भारत के साथ द्विपक्षीय संबंध पहले से ही तनाव में हैं. पिछले सप्ताह अमेरिका ने कहा कि वह तब तक पूरी तरह से संतुष्ट नहीं होगा, जब तक कि कथित साजिश में भारत की जांच के प्रति एकाउंटेबिलिटी नहीं होगी.


ये भी  पढ़ें: US Elections 2024: अमेरिकी चुनाव के दौरान दान और विज्ञापन की दौड़ में कौन आगे-कौन पीछे?