एस जयशंकर ने की चीन के विदेश मंत्री से मुलाकात, LAC के मुद्दे पर सुना दी दो टूक, कह दी ये बात
ASEAN Meeting: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के अपने समकक्ष वांग यी को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि बॉर्डर पर जो स्थिति होगी वो हमारे संबंधों में दिखेगी.
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S Jaishankar Meets Wang Yi: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार (25 जुलाई) को अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात की. उन्होंने ये मुलाकात आसियान विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर की. जिसमें उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करने के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) और पिछले समझौतों का पूर्ण सम्मान सुनिश्चित किए जाने की जरूरत पर जोर दिया.
इस महीने दूसरी बार मिले दोनों नेताओं ने सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए सख्त दिशा-निर्देश दिए जाने की आवश्यकता पर भी सहमति व्यक्त की. जयशंकर ने आसियान विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान वांग से मुलाकात के बाद सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘सीपीसी (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना) पोलित ब्यूरो सदस्य और (चीन के) विदेश मंत्री वांग यी से आज वियनतियान में मुलाकात की. हमारे द्विपक्षीय संबंधों को लेकर चर्चा जारी रही. सीमा की स्थिति निश्चित रूप से हमारे संबंधों की स्थिति पर प्रतिबिंबित होगी.’’
एक महीने के अंदर दूसरी बार हुई मुलाकात
दोनों के बीच वार्ता पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद जारी रहने के बीच हुई जो मई में अपने पांचवें वर्ष में प्रवेश कर गया. जयशंकर ने कहा, ‘‘वापसी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए मजबूत मार्गदर्शन दिए जाने की आवश्यकता पर सहमति बनी. एलएसी और पिछले समझौतों का पूरा सम्मान सुनिश्चित किया जाना चाहिए. हमारे संबंधों को स्थिर करना हमारे आपसी हित में है. हमें वर्तमान मुद्दों पर उद्देश्य और तत्परता की भावना का रुख रखना चाहिए.’’ दोनों नेताओं ने इस महीने की शुरुआत में कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात की थी.
एलएसी को लेकर दोनों देशों के बीच गतिरोध जारी
भारत का कहना है कि जब तक सीमा क्षेत्रों में शांति नहीं होगी, चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते. मई 2020 से भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच गतिरोध है और सीमा विवाद का पूर्ण समाधान अभी तक नहीं हो पाया है, हालांकि दोनों पक्ष टकराव वाले कई बिंदुओं से पीछे हटे हैं. जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी गिरावट आई थी, जो दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था.
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