Indian Delegation in Afghanistan : अफगानिस्तान की सरकार को सत्ता से बाहर करके साल 2021 में तालिबान ने वहां कब्जा कर लिया. इसके बाद से अफगानिस्तान और भारत के बीच रिश्तों में स्थिरता से आ गई थी. लेकिन दोनों देशों के बीच नए सिरे से रिश्तों को गढ़ने के लिए बुधवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल को काबुल भेजा. जहां उनकी मुलाकात 1996 में तालिबान सरकार में पूर्व सर्वोच्च नेता रह चुके मुल्ला उमर के बेटे मोहम्मद याकूब मुजाहिद से हुई.
बता दें कि मोहम्मद याकूब मुजाहिद अफगानिस्तान के कार्यवाहक रक्षा मंत्री भी हैं. दूसरी ओर अफगानिस्तान पहुंचे भारतीय प्रतिनिधिमंडल का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी जेपी सिंह ने किया. इस दौरान तालिबान और भारत से जुड़े मुद्दों को लेकर चर्चा की गई. वहीं, अपनी काबुल यात्रा के दौरान भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई से भी मुलाकात की.
जेपी सिंह को क्यों मिली प्रतिनिधित्व की जिम्मेदारी?
विदेश मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी जेपी सिंह को मंत्रालय की ओर से पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान से जुड़े मामलों से निपटने की विशेष जिम्मेदारी दी गई है. इसी कारण से काबूल गए प्रतिनिधिमंडल का प्रतिनिधित्व करने के लिए भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस मामलों के सबसे काबिल अधिकारियों में से एक जेपी सिंह को चुना था. उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान में तालिबान सरकार स्थापित होने के बाद भारतीय प्रतिनिधिमंडल का यह दूसरा दौरा है.
भारत ने तालिबान को अब तक नहीं दी है मान्यता
तालिबान के रक्षा मंत्रालय ने कहा, “इस बैठक में दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने की अपनी साझा इच्छा पर जोर दिया. जिसका फोकस मानवाय सहयोग और अन्य मुद्दों पर रहा. अफगानिस्तान औऱ भारत दोनों ने ही आगे की बातचीत को मजबूत करने में अपनी रूचि दिखाई है.” बता दें कि भारत ने अभी तक अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज तालिबान प्रशासन को अपनी आधिकारिक मान्यता नहीं दी है. हालांकि मध्य एशिया में अपनी पहुंच को मजबूत करने के लिए भारत अफगानिस्तान को अपने अहम साझेदार के तौर पर देखता आया है.
अफगानिस्तान पर भारत के साथ मजबूत संबंधों की बात की
भारत ने कई बार स्पष्ट रूप से कहा है कि भारत में आतंकवाद फैलाने के लिए अफगानिस्तान की भूमि का किसी प्रकार से इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. इस बात तालिबान ने भारत को आश्वस्त किया है कि वो अपनी जमीन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं होने देगा. इस दौरान मोहम्मद याकूब ने भारत के साथ अफगानिस्तान के साथ मजबूत संबंधों के इतिहास का भी जिक्र किया. हालांकि तालिबान नई दिल्ली स्थित अफगान दूतावास में तालिबान विदेश मंत्रालय के एक राजनयिक की नियुक्ति की अनुमति के लिए भारत पर दबाव डाल रहा है.
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