वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजराइल-फलस्तीन संघर्ष के समाधान के लिए एक बड़ा संदेश दिया है. ट्रंप ने लंबे समय से अमेरिका के समर्थन वाले दो-राष्ट्र के सिद्धांत को छोड़ने के संकेत दिए हैं. ट्रंप ने कहा है कि अगर एक राष्ट्र के समाधान से पश्चिम एशिया में शांति स्थापित होती है, तो वह इस समाधान का समर्थन कर सकते हैं. इसके साथ ही ट्रंप ने इजराइल से यहूदी बस्तियों के निर्माण का काम अस्थायी रूप से बंद करने के लिए कहा है.


यहूदी बस्तियों के निर्माण का काम अस्थायी रूप से बंद हो-ट्रंप
अमेरिका के दौरे पर आए इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ एक प्रेस कॉन्फेंस में ट्रंप ने दोनों दोशों के बीच के ‘अटूट’ बंधन की सराहना की. ओबामा प्रशासन के दौरान दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में गिरावट देखी गई थी. 20 जनवरी को राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद नेतन्याहू के साथ अपनी पहली बैठक में ट्रंप ने गर्मजोशी के साथ उनसे मुलाकात की. लेकिन ट्रंप ने शिष्टतापूर्वक नेतन्याहू से उस क्षेत्र में बस्तियों के निर्माण के काम को ‘कुछ समय के लिए’ बंद करने के लिए कहा जिस पर फलस्तीनी अपना दावा करते हैं. अंतरराष्ट्रीय आम सहमति से किनारा करते हुए ट्रंप ने कहा कि वह ‘वैकल्पिक समाधान’ का स्वागत करेंगे और यह जरूरी नहीं कि इसमें 6 दशक लंबे इजराइल-फलस्तीन संघर्ष के समाधान के लिए दो-राष्ट्र का सिद्धांत शामिल हो.


इजराइल को ‘भी कुछ लचीलापन दिखाने की जरूरत’ है-ट्रंप
ट्रंप ने कहा, ‘यह कुछ ऐसा है जो बहुत अलग है और इससे पहले इस पर चर्चा नहीं की गई है. वास्तव में यह एक बहुत बड़ा समझौता है- एक अर्थ में यह एक बहुत महत्वपूर्ण समझैता है.’ उन्होंने कहा, ‘मैं दो-राष्ट्र और एक-राष्ट्र की ओर देख रहा हूं लेकिन मुझे वह एक सिद्धांत पसंद होगा जिसे दोनों पक्ष पसंद करेंगे. मैं उस सिद्धांत के साथ बहुत खुश रहूंगा जिसे दोनों पक्ष पसंद करेंगे. मैं किसी एक के साथ जा सकता हूं.’ उन्होंने कहा कि इजराइल को ‘‘भी कुछ लचीलापन दिखाने की जरूरत’ है. उन्होंने बिना विस्तार में बताते हुए कहा, ‘हम साथ मिलकर काम करेंगे, मुझे लगता है कि एक समझौता किया जाएगा और इस कमरे में बैठे लोग जितना समझते हैं उससे कहीं अधिक बड़ा और बेहतर समझौता हो सकता है.’ वर्ष 2002 से अमेरिका ने औपचारिक रूप से दो-राष्ट्र के सिद्धांत का समर्थन किया है.


बेंजामिन नेतन्याहू ने यहूदी बस्तियों के निर्माण को रोकने को लेकर जवाब नहीं दिया
ट्रंप ने कहा कि उनका प्रशासन यरूशलम में अमेरिकी दूतावास ले जाने की सोच रहा है लेकिन उन्होंने निकट भविष्य में इसके पूरे होने का कोई संकेत नहीं दिया. उन्होंने कहा, ‘जहां तक दूतावास को यरूशलम ले जाने की बात है, मैं ऐसा होते हुए देखना पसंद करूंगा.’ नेतन्याहू ने बस्तियों के निर्माण रोकने संबंधी ट्रंप के अनुरोध को कोई जवाब नहीं दिया लेकिन फलस्तीनियों के साथ शांति के लिए पहले की दो शर्तों का जिक्र किया. उन्होंने पहली शर्त बताई कि फलस्तीनियों को यहूदी राष्ट्र को मान लेना चाहिए. उन्हें इजराइल की तबाही का आह्वान करना बंद कर देना चाहिए, उन्हें इस्राइल की तबाही के लिए अपने लोगों को शिक्षित करना बंद करना होगा. उन्होंने दूसरी शर्त बताई कि किसी भी शांति समझौते के तहत जार्डन नदी के पूरे पश्चिमी इलाके का सुरक्षा नियंत्रण इजराइल के पास रहना चाहिए.