QUAD Meeting 2025: अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण के बाद वाशिंगटन डीसी में क्वाड विदेश मंत्रियों की पहली बैठक मंगलवार (21 जनवरी, 2025) को हुई. इस दौरान चीन पर पूर्वी और दक्षिण चीन सागर में यथास्थिति बदलने का आरोप लगाया गया. क्वाड के सदस्यों ने यह भी कहा कि चीन की गतिविधियां क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के लिए चुनौतीपूर्ण हैं.
मामले पर बुधवार (22 जनवरी) को चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि चीन ने हमेशा देशों के बीच सहयोग का समर्थन किया है, लेकिन यह सहयोग किसी तीसरे पक्ष को टारगेट नहीं होना चाहिए. प्रवक्ता ने कहा कि समूह की राजनीति और गुटों के टकराव से शांति और सुरक्षा प्राप्त नहीं होगी. चीन की गतिविधियां वैध और निंदनीय हैं. ऐसी राजनीति एशिया-प्रशांत क्षेत्र और दुनिया में स्थिरता के लिए अनुकूल नहीं है.
दक्षिण चीन सागर विवाद की कहानी
दक्षिण चीन सागर में चीन की गतिविधियां लंबे समय से विवाद का विषय रही हैं. यह क्षेत्र संसाधनों से भरपूर है और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है. चीन की "नाइन डैश लाइन" नीति ने क्षेत्रीय देशों के साथ तनाव को बढ़ाया है. जिस पर अमेरिका और क्वाड सदस्य देशों (भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान) ने इस पर बार-बार आपत्ति जताई है.
विशेषज्ञों की राय
चीन और क्वाड के बीच बढ़ती दूरियां एशिया-प्रशांत क्षेत्र में नए भू-राजनीतिक समीकरण बना सकती है. विशेषज्ञों का मानना है कि समूहों के बीच टकराव क्षेत्रीय देशों के हितों को प्रभावित कर सकता है. स्थिरता के लिए समन्वय और संवाद आवश्यक है.
जयशंकर ने बताया बैठक को प्रोडक्टिव
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने वाशिंगटन डीसी में आयोजित क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक को "उपयोगी और प्रोडक्टिव" बताया. उन्होंने एक्सपर पोस्ट कर बैठक की जानकारी साझा की. जयशंकर ने अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो को बैठक की मेजबानी के लिए धन्यवाद दिया. इसके अलावा, उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री पेनी वोंग और जापान के विदेश मंत्री ताकाशी को उनकी भागीदारी के लिए आभार व्यक्त किया.
क्वाड बैठक का महत्व
क्वाड बैठक में चार देशों - भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के बीच सामरिक और आर्थिक सहयोग पर चर्चा हुई. यह बैठक हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है.