Mexican Crude Oil Compnay Searching For Market: मैक्सिको की सरकारी तेल कंपनी पेमेक्स (Pemex) दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है. उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से लगाए गए 25 फीसदी टैरिफ के बाद अपने कच्चे तेल के लिए वैकल्पिक बाजारों की तलाश में जुट गई है. पेमेक्स के अधिकांश कच्चे तेल का निर्यात पहले अमेरिका को किया जाता था, लेकिन टैरिफ की वजह से अब कंपनी एशिया और यूरोप में नए खरीदारों से बातचीत कर रही है. इससे पहले पेमेक्स की ओर निर्यात किए जाने वाले कुल कच्चे तेल का 57 फीसदी हिस्सा अमेरिका को जाता था.
जनवरी में पेमेक्स के निर्यात में 44 फीसदी की गिरावट आई और यह 532,404 बैरल प्रति दिन (बीपीडी) रह गया, जो कि दशकों में सबसे कम है. इस स्थिति ने पेमेक्स को यूरोप और एशिया के नए बाजारों की ओर देखने पर मजबूर कर दिया है. उनका मुख्य टारगेट भारत और दक्षिण कोरिया जैसे देश है.
एशिया और यूरोप में संभावनाए
पेमेक्स के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कंपनी अब चीन, भारत, दक्षिण कोरिया, और यूरोप में संभावित खरीदारों से बातचीत कर रही है. चीन के साथ प्रारंभिक बातचीत सकारात्मक रही है, और अधिकारी ने कहा कि एशियाई देशों में भारी कच्चे तेल की अच्छी मांग है. एशिया में मौजूद कई रिफाइनरी पेमेक्स का कच्चा तेल प्रोसेसिंग के लिए उपयुक्त माना जाता है. इसलिए, एशिया अमेरिका की तरफ से नहीं खरीदे गए कच्चे तेल को एशियाई देश भेजने का प्लान है.
कोई रियायत नहीं
टैरिफ के बावजूद, पेमेक्स ने अपने अमेरिकी ग्राहकों को किसी भी प्रकार का छूट देने से इनकार कर दिया है. इसके बजाय, जब मौजूदा अनुबंध समाप्त होंगे तो संभावना है कि शिपमेंट एशिया और यूरोप की ओर भेजे जाएंगे. कंपनी के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए किसी छूट की योजना नहीं है.
मैक्सिको की तेल उत्पादन और निर्यात चुनौतियां
मैक्सिको एक प्रमुख कच्चे तेल उत्पादक है, लेकिन इसके पुराने तेल क्षेत्रों में उत्पादन में गिरावट आई है, खासकर जो मैक्सिको की खाड़ी में स्थित हैं. इसके अलावा देश की रिफाइनिंग सिस्टम भी लंबे समय से संकट में है और नई 340,000 बीपीडी ओल्मेका रिफाइनरी की देरी ने स्थिति को और जटिल बना दिया है. मैक्सिको अब कच्चा तेल निर्यात करने के लिए मजबूर है, जबकि ये गैसोलीन और डीजल का आयात करता है. उनमें से अधिकांश अमेरिका से आते हैं.
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