Mexico judicial Reform: मेक्सिको दुनिया का पहला देश बन गया है, जहां अब जजों की नियुक्ति नहीं बल्कि उनको चुनने के लिए चुनाव होगा. जनता के वोट से मेक्सिको में अब जज चुने जाएंगे. इससे जुड़े विधेयक को भारी विरोध के बीच संसद में पारित कर दिया गया. इस कानून के मुताबिक, अब मेक्सिको के भीतर सभी स्तर के जजों को जनता वोट देकर चुनेगी. फिलहाल, सरकार के इस फैसले का देश में जमकर विरोध हो रहा है. संसद में बिल पेश करने से एक दिन पहले ही हजारों की संख्या में लोग सदन के भीतर घुस गए और जमकर तोड़फोड़ की.
रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि मेक्सिको की सत्तारूढ़ पार्टी मोरेना की तरफ से संसद में पेश किए गए इस प्रस्ताव के पक्ष में 86 और विरोध में 41 वोट पड़े. इस तरह से सदन के भीतर यह प्रस्ताव पारित हो गया. इस बिल के खिलाफ लोग अब सड़कों पर उतर आए हैं और जमकर विरोध कर रहे हैं. विरोध करने वालों में एक बड़ी संख्या लॉ स्टूडेंट्स और कोर्ट कर्मचारियों की है. मेक्सिको की संसद से पास इस विधेयक के मुताबिक, देश के सुप्रीम कोर्ट से लेकर स्थानीय स्तर तक के जज के लिए अब इलेक्शन होगा.
राष्ट्रपति लोपेज की मानी जा रही बड़ी भूमिका
वोट से जज के चुनाव वाले विधेयक को पारित कराने में देश के राष्ट्रपति आंद्रेस मैनुअल लोपेज ओब्रेडोर की बड़ी भूमिका मानी जा रही है. वह अपने कार्यकाल के दौरान इस विधेयक को पास कराना चाह रहे थे. क्योंकि राष्ट्रपति का मानना है कि देश की मौजूदा न्याय प्रणाली एक खास एलिट वर्ग के हितों पर ध्यान दे रही है. दरअसल, राष्ट्रपति लोपेज का कार्यकाल 30 सितंबर को समाप्त होने वाला है, ऐसे में उन्होंने आनन-फानन में इसे पारित कराने का फैसला किया था.
6500 से अधिक जजों के लिए होगा इलेक्शन
सदन में विधेयक पारित होने के बाद सत्तारूढ़ सरकार अब देश के संविधान में संसोधन करने जा रही है. इसी के तहत अब देश के 6500 से अधिक जजों के लिए चुनाव होगा. इस विधेयक में जज बनने के लिए अनिवार्य 10 साल के अनुभव को कम करके 5 साल कर दिया गया है. मंगलवार को सदन में हुए भारी विरोध के बावजूद सत्तारूढ़ पार्टी ने बुधवार को विधेयक पारित कराने के लिए दो-तिहाई बहुमत के आंकड़े को जुटा लिया था. इस विधेयक के पक्ष में मेक्सिको की विपक्षी पार्टी के नेता मिगुएल एंजेल यूनस भी हैं. वहीं विपक्ष में कुछ ऐसे नेता हैं जो इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं.