वॉशिंगटन: ग्लोबल वॉर्मिंग के खिलाफ जंग से अमेरिकी सरकार ने पिछले साल अपने हाथ वापस खींच लिए थे. अब इसे मज़बूत करने के लिए वहां के एक बिज़नेसमैन माइकल ब्लूमबर्ग आगे आए हैं. उन्होंने इसके लिए इस साल कम पड़ रही रकम को पूरा करने के लिए 4.5 मिलियन डॉलर यानी 29,81,92,500 रुपए का चेक देने का वादा किया है.


पेरिस क्लाइमेट चेंज समझौते के दौरान अमेरिका ने इसका हिस्सा बने रहने और लगातार इस मुहिम की मदद करने का वादा किया था. लेकिन पिछले साल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ये घोषणा की कि अमेरिका पेरिस क्लाइमेट चेंज का हिस्सा नहीं रहेगा. अमेरिका की इस घोषणा के बाद ब्लूमबर्ग ने अमेरिकी धन नहीं मिलने से ग्लोबल वॉर्मिंग के खिलाफ होने वाली जंग को कमज़ोर नहीं पड़ने देने का निर्णय लिया. इसी लिए उन्होंने ये चेक देने को कहा है.


ब्लूमबर्ग ने कहा कि अमेरिका ने पेरिस क्लाइमेट चेंज के 2015 के समझौते के दौरान इस जंग में शामिल होने का वादा किया था. अगर सरकार इस वादे को पूरा नहीं करती तो ये हर नागरिक की ज़िम्मेदारी है कि वो इस वादे को पूरा करे. क्लाइमेट एक्शन के मामले में ब्लूमबर्ग यूएन सेक्रेरेट्री जेनरल के विशेष राजदूत हैं. जो पैसे उन्होंने दिए हैं वो यूएन क्लाइमेट चेंज सेक्रेटेरिएट के काम काज को सुचारु रूप से चलाने में काम आएंगे. इस सेक्रेटेरिएट का काम बाकी देशों को पेरिस समझौते को लागू करने में मदद करना है.


यूएन को उम्मीद थी कि इसके लिए अमेरिका से उसे 7.5 मिलियन डॉलर यानी 49,67,62,500 रुपए मिलेंगे. पेरिस अग्रीमेंट के लिए कांग्रेस ने महज़ 3 मिलियन डॉलर यानी 19,87,05,000 रुपए दिए हैं. इसी के बाद ब्लूमबर्ग ने तय किया की बाकी की रकम का इंतज़ाम वो करेंगे. न्यूयॉर्क के इस पूर्व मेयर ने ये उम्मीद जताई है कि ट्रंप अगले साल इसके लिए पैसे देनो को राज़ी हो जाएंगे.


अगले साल के लिए पैसे मिलने की उम्मीद जताते हुए ब्लूमबर्ग ने भी कहा है कि संभव है कि अगले साल तक ट्रंप का मति परिवर्तन होगा और वो इसके लिए पैसे देने को राज़ी होंगे. उन्होंने आगे कहा कि अगर कोई व्यक्ति अपने दिमाग को एक जैसा बनाए रखता है तो वो स्मार्ट नहीं है. ब्लूमबर्ग के इस कदम की खास बात ये रही कि उन्होंने ये कदम अर्थ डे यानी पृथ्वी दिवस के दिन उठाया.