नई दिल्लीः अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकल फ़्लिन ने इस्तीफ़ा दे दिया है. रूस के साथ कथित संपर्क की वजह से फ़्लिन पर इस्तीफ़ा देने का दबाव बढ़ता जा रहा था. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकल फ़्लिन के बारे में कुछ ख़बरों में कहा गया था कि उन्होंने ट्रंप के सत्ता संभालने से पहले अमेरिका में रूसी राजदूत से प्रतिबंधों के संबंध में चर्चा की थी. इसे विदेश नीति का उल्लंघन माना गया था.


ये न सिर्फ़ अमेरिकी विदेश नीति से जुड़े क़ानून का उल्लंघन था बल्कि फ़्लिन ने उप-राष्ट्रपति माइक पेंस से भी कहा कि उन्होंने प्रतिबंधों से संबंधित कोई बात नहीं की थी. माइक पेंस ने उनकी बातों पर यकीन करते हुए टीवी चैनलों के सामने जाकर कहा कि वो पूरे यकीन के साथ कह सकते हैं कि प्रतिबंधों के बारे में कोई बात नहीं हुई थी.


पिछले हफ़्ते कुछ अख़बारों ने अमरिकी खुफिया अधिकारियों के हवाले से ख़बर दी कि प्रतिबंधों का भी ज़िक्र हुआ था और ये मामला फिर से सुर्खियों में आ गया. ऐसी ख़बरें भी आ रही थीं कि फ़्लिन ने उप-राष्ट्रपति से माफी मांगी थी. लेकिन डेमोक्रैट्स उनके इस्तीफ़े की मांग कर रहे थे.


आरोप लगने के बाद से ही ट्रंप प्रशासन इस पर ख़ामोश था. लेकिन सोमवार की शाम उनकी एक उच्च सलाहकार केलीऐन कॉनवे ने टीवी पर बयान दे दिया कि फ़्लिन को राष्ट्रपति ट्रंप का "पूरा विश्वास" प्राप्त है और उसके बाद यही लग रहा था कि विवादों के बावजूद फ़्लिन अपने पद पर बने रहेंगे.


इसके एक घंटे के बाद ही व्हाइट हाउस के प्रवक्ता शॉन स्पाइसर ने बयान जारी किया कि ट्रंप पूरी "स्थिति का जायज़ा" ले रहे हैं. ये मामला ऐसा था जिसमें देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने उप-राष्ट्रपति को झूठा बयान दिया था और इसलिए इस पर ख़ासा हंगामा मचा.


कुछ दिनों से लगातार इस तरह की ख़बरें आ रही थीं कि व्हाइट हाउस के अंदर भी कई ख़ेमे बन चुके हैं और सोमवार को दो घंटों के अंदर दिए अलग-अलग बयान कुछ हद तक उसकी पुष्टि कर रहे थे. माइकल फ़्लिन चुनाव प्रचार के दिनों में ट्रंप के करीबी सहयोगियों में से थे.