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Mikhail Gorbachev: आखिरी वक्त में भी पुतिन ने किया मिखाइल गोर्बाचोफ़ से किनारा, अंतिम विदाई में राजकीय सम्मान भी नहीं मिल पाएगा

Mikhail Gorbachev Funeral: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आखिरी सोवियत नेता मिखाइल गोर्बाचोफ़ के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होंगे. इस तरह से वो इस नेता को मिलने वाला राजकीय सम्मान नहीं दे रहे हैं.

Gorbachev State Funeral Denied By Vladimir Putin: रूसी (Russian) राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने अपने धुर आलोचक रहे मिखाइल गोर्बाचोफ़ (Mikhail Gorbachev) से शायद उनके आखिरी वक्त में भी नाराजगी का रिश्ता निभाने की कसम खा ली है. शायद तभी वो आखिरी सोवियत नेता (Soviet leader) गोर्बाचोफ़ के अंतिम संस्कार (Funeral) में शामिल नहीं होंगे. एक तरह से देखा जाए तो सोवियत साम्राज्य के पतन को रोकने में नाकामयाब रहने वाले गोर्बाचोफ़ को पुतिन आखिरी वक्त में भी अपमानित करने का मौका नहीं छोड़ रहे हैं. जबकि रूस (Russia) के पहले राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन (Boris Yeltsin) को उनके अंतिम वक्त में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई थी. गोर्बाचोफ़ सोवियत संघ (USSR) के 8वें और आखिरी राष्ट्रपति रहे थे. 

पुतिन ने शोक संदेश लिखने में ही लिए 15 घंटे

रूसी (Russian) राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का दिल अभी भी शायद आखिरी सोवियत नेता मिखाइल गोर्बाचोफ़ को लेकर साफ नहीं है. इसकी वजह ये है कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने संवेदना के संयमित संदेश को प्रकाशित करने में 15 घंटे से अधिक का वक्त लगाया. इस संदेश में कहा गया था कि गोर्बाचेव का विश्व इतिहास पर बेहद गहरा बड़ा प्रभाव पड़ा है और ये भी गहराई से समझा गया कि 1980 में सोवियत संघ की समस्याओं से निपटने के लिए सुधार जरूरी थे. रूसी राष्ट्रपति पुतिन के क्रेमलिन ऑफिस प्रवक्ता दमित्री पेसकोव ने कहा कि राष्ट्रपति अपने पहले से ही तय कार्यक्रम की वजह से सोवियत संघ के पूर्व राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचोफ़ के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाएंगे.

रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने दिवंगत सोवियत नेता की मौत पर शोक व्यक्त कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. इसके लिए पुतिन मॉस्को (Moscow) के उस अस्पताल पहुंचे जहां गोर्बाचोफ़ की डेड बॉडी रखी गई है. गौरतलब है कि जहां आखिरी सोवियत नेता गोर्बाचोफ पूर्वी यूरोप को सोवियत कम्युनिस्ट के नियंत्रण से बचाने के लिए पश्चिम में पूजे जाते रहे. वहीं इस वजह से उनके देश में वह नफरत का शिकार बनते रहे. वह अपने "पेरेस्त्रोइका" यानी  पुर्नगठन सुधारों की वजह से फैली अराजकता के लिए भी अपने ही देशवासियों के निशाने पर रहे. पुतिन से भी उनके रिश्ते इस वजह से कभी सामान्य नहीं रह पाए.

शनिवार होगा गोर्बाचोफ़ का अंतिम संस्कार 

शनिवार को मिखाइल गोर्बाचोफ़ को मॉस्को के हॉल ऑफ कॉलम (Moscow's Hall of Columns) में एक सार्वजनिक समारोह के बाद दफन किया जाएगा. क्रेमलिन के पास इस भव्य हॉल में सोवियत नेता व्लादिमीर लेनिन (Vladimir Lenin), जोसेफ स्टालिन ( Josef Stalin) और लियोनिद ब्रेझनेव (Leonid Brezhnev) का अंतिम संस्कार हो चुका है. वहीं गोर्बाचोफ फाउंडेशन (Gorbachev's Foundation) ने कहा कि अंतिम संस्कार दोपहर 12 बजे (0900 GMT) शुरू होगा, न कि सुबह 10 बजे (0700 GMT) जैसा कि पहले एलान किया गया था.

रूसी टेलीविजन में गुरुवार को पुतिन को  गोर्बाचोफ़ के ताबूत के बगल में लाल गुलाब रखते हुए दिखाया गया. मॉस्को के सेंट्रल क्लिनिकल अस्पताल (Central Clinical Hospital) में  मंगलवार को 91 साल के इस सोवियत नेता की मौत हो गई थी. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव (Dmitry Peskov) ने पत्रकारों से कहा, "दुर्भाग्य से, राष्ट्रपति का कार्यक्रम उन्हें 3 सितंबर को ऐसा करने की अनुमति नहीं देगा, इसलिए उन्होंने आज इसे करने का फैसला किया." हालांकि मिखाइल गोर्बाचोफ़ के अंतिम संस्कार को पूरे राजकीय सम्मान की बात पर प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि गोर्बाचोफ़ के अंतिम संस्कार में राजकीय सम्मान के अन्य औपचारिक तरीके होंगे. इसे आयोजित करने में राज्य मदद करेंगा. इस तरह से उन्होंने इस आखिरी सोवियत नेता के अंतिम संस्कार को पूरा राजकीय सम्मान न दिए जाने की बात साफ कर दी है.

नहीं मिलेगा पूरा राजकीय सम्मान

सोवियत संघ (Soviet Union) और अमेरिका के शीत युद्ध को ख़त्म करवाने वाले नेता गोर्बाचोफ़ का अंतिम संस्कार उनको दरकिनार करने वाले बोरिस येल्तसिन के अंतिम संस्कार जैसा नहीं होगा. जब 2007 में येल्तसिन की मौत हुई, तो पुतिन ने राष्ट्रीय शोक दिवस का एलान किया था. यही नहीं पुतिन ने विश्व नेताओं के साथ मॉस्को के कैथेड्रल ऑफ क्राइस्ट द सेवियर (Moscow's Cathedral of Christ the Saviour) में येल्तसिन का भव्य पूर्ण राजकीय अंतिम संस्कार किया था. यूक्रेन में रूस का हस्तक्षेप कम से कम सोवियत संघ के पतन को उलटने के उद्देश्य सा दिखता है जिसे गोर्बाचोफ 1991 में रोकने में विफल रहे. 2000 में सत्ता संभालने के पांच साल बाद तब पुतिन ने सोवियत संघ के टूटने को "20वीं सदी की सबसे बड़ी भू-राजनीतिक तबाही" कहा था.

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