Satellite War: रूस-यूक्रेन (Russia Ukraine) के बीच जारी युद्ध अब अंतरिक्ष के लिए भी खतरा बनते जा रहा है. चीन के रक्षा विशेषज्ञों का कुछ ऐसा ही मानना है. चीन ने स्पेस वॉर के बढ़ते खतरे को लेकर दुनिया को आगाह किया है. चीन के रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अंतरिक्ष में हथियारों पर नियंत्रण को लेकर दुनिया के देशों को आगे बढ़कर बातचीत करने की जरुरत है. चीन के सैन्य एक्सपर्ट ने आउटर स्पेस में हथियारों की भरमार के मुद्दे पर भी चिंता जाहिर की है.


अमेरिकी स्पेस फोर्स के प्रुमख जनरल जे रेमण्ड के बयान के बाद चीन की ओर से इस तरह की चिंता जताई गई है. हाल ही में अमेरिकी स्पेस फोर्स के प्रुमख जनरल जे रेमण्ड ने बीबीसी को दिए इंटरव्यू में कहा था कि रूस-यूक्रेन युद्ध ऐसा पहला युद्ध है जिसमें व्यापार अंतरिक्ष क्षमताओं ने वास्तव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्होंने इसे पहला बड़ा संघर्ष बताया था जिसमें दोनों पक्ष अंतरिक्ष पर इतने निर्भर हो गए हैं.


अमेरिका के सहयोगी यूक्रेन की मदद कर रहे


रेमण्ड ने अंतरिक्ष क्षमताओं के बारे में कोई खास जानकारी नहीं दी कि कैसे अमेरिका और उसके सहयोगी यूक्रेन की मदद कर रहे हैं. हालांकि उन्होंने इशारों में ही ये बता दिया कि अमेरिका यूक्रेन की मदद के लिए स्पेस तकनीक का इस्तेमाल कैसे कर रहा है. रेमंड ने कहा कि अमेरिका या हमारे सहयोगियों को लेकर आने वाले किसी भी खतरे को देखते हुए हम अंतरिक्ष का उपयोग सटीक रूप से हमला करने और मिसाइलों की चेतावनी देने के लिए करते हैं.


आपको जानकार हैरानी होगी कि अंतरिक्ष में 5 हजार से ज्यादा सैटेलाइट पहले से ही मौजूद हैं, जिनका उपयोग कारोबारी मकसद से किया जा रहा है. बीबीसी के मुताबिक यूक्रेन के पास भारी संख्या में कारोबारी सैटेलाइट से ली गई तस्वीरें पहुंच रही हैं, जिसका इस्तेमाल खुफिया, निगरानी, संचार और हथियारों के लिए सटीक मार्ग बताने के लिए किया जा रहा है.


युद्ध का दायरा स्पेस तक जा पहुंचा 


चीन के रक्षा विशेषज्ञों को लगने लगा है कि अब दो देशों के बीच युद्ध का दायरा जमीन, समुद्र और हवा से बढ़कर स्पेस तक जा पहुंचा है. तेजी से अंतरिक्ष का सैन्यीकरण हो रहा है. चीनी सैन्य विशेषज्ञ और टीवी कमेंटेटर सोंग झोंगपिंग ने मंगलवार को ग्लोबल टाइम्स को बताया कि पहला "अंतरिक्ष युद्ध" बड़े रूप से 1991 का खाड़ी युद्ध माना जाता है. इसमें अमेरिका ने अपने सभी सैन्य उपग्रहों और कारोबारी उपग्रहों का इस्तेमाल सेना की मदद के लिए किया था. सोंग झोंगपिंग का मानना है कि रूस-यूक्रेन संघर्ष में, यूक्रेन को पश्चिमी देशों के कॉमर्स सैटेलाइट से किसी प्रकार की सहायता नहीं मिले.


इसके लिए रूस ने जैमिंग और सैटेलाइट से मिलने वाले इमेज को तहत-नहस करने वाले ऑपरेशन को अंजाम दिया है. सोंग के मुताबिक फिलहाल राहत कि बात ये है कि इस तरह के स्पेस वॉर में अब तक किसी भी पक्ष ने एक-दूसरे के खिलाफ हमले और बचाव करने वाले एयरोस्पेस हथियार का इस्तेमाल नहीं किया है.


भविष्य के युद्ध अंतरिक्ष में होगें


एयरोस्पेस विज्ञान और प्रौद्योगिकी में एक्सपर्ट चीन के हुआंग झिचेंग ने ग्लोबल टाइम्स से कहा है कि ये बेहद ही संवेदनशील सवाल है कि क्या भविष्य के युद्ध का विस्तार जमीन, समुद्र और हवा से अंतरिक्ष में होगा. उनका मनाना है कि वर्तमान में अंतरिक्ष सैन्यीकरण सिर्फ इनफार्मेशन सहायता देने तक सीमित है. हमें अंतरिक्ष हथियार बनाने को लेकर सतर्कता बरतनी चाहिए.


ऐसे अंतरिक्ष हथियारों में सैटेलाइट पर हमला करने वाला अंतरिक्ष यान हो सकते हैं या फिर सैटेलाइट पर हमला करने वाली भूमि आधारित मिसाइल. हुआंग ने उपग्रहों के खिलाफ इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग के प्रयोग को लेकर भी चिंता जाहिर की है. हुआंग का कहना है कि ऐसे हालात को रोकने के लिए दुनिया भर के देशों को संयुक्त राष्ट्र के फ्रेमवर्क के तहत अंतरिक्ष में हथियारों के नियंत्रण पर वार्ता करनी चाहिए.


अमेरिका अंतरिक्ष में अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ा रहा 


एक अन्य चीनी सैन्य विशेषज्ञ झांग ज़ुफेंग ने मंगलवार को ग्लोबल टाइम्स से कहा कि अमेरिका लगातार अंतरिक्ष में अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने में जुटा है. साथ ही वो कम लॉन्च लागत के साथ अंतरिक्ष में अपना वर्चस्व बढ़ाने का भी प्रयास कर रहा है. चीन के सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका खुद खास तरह के एंटी सैटेलाइट कैपेबिलिटी को हासिल करना चाहता है.


लेकिन दूसरों देशों से एंटी सैटेलाइट टेस्ट नहीं करने की अपील करता है. अमेरिका की भूमि आधारित मिड-कोर्स एंटीबैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम और जहाज आधारित मानक मिसाइल 3 ऐसे ही परिपक्व एंटी-सैटेलाइट तकनीक हैं.


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