इस्लामाबाद: पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के अधिकारों से संबंधित एक सदस्यीय आयोग ने खैबर पख्तूनख्वा प्रांत स्थित एक मंदिर में की गई तोड़फोड़ पर अपनी रिपोर्ट देश के सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी. आयोग ने इस रिपोर्ट में सिफारिश की है कि मंदिर की जमीन को कब्जा करने वालों से मुक्त कराया जाए और सरकार को हमले की एक विस्तृत जांच करनी चाहिए.
आयोग के अध्यक्ष शुएब सुदल ने करक जिले में मंदिर का दौरा किया और इस मामले में एक व्यापक रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की. सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को हमले की जांच करने के लिए कहा था. रिपोर्ट में मामले में सभी प्रासंगिक विवरण और साक्ष्य एकत्रित करने का सुझाव दिया गया है. इसमें केपीके सरकार को भूमि हड़पने वालों से मंदिर की भूमि छुड़ाने का सुझाव भी दिया गया है.
भीड़ ने मंदिर में की तोड़फोड़
दरअसल, धर्मस्थल पर विस्तार कार्य का विरोध करते हुए कट्टरपंथी जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम पार्टी (फजल उर रहमान समूह) के सदस्यों की अगुवाई में एक भीड़ ने मंदिर में तोड़फोड़ की थी और आग लगा दी थी. वहां पर एक हिंदू धार्मिक नेता की समाधि भी थी. प्राथमिकी में 350 से ज्यादा लोग नामजद हैं. अब तक 100 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. आयोग की रिपोर्ट में सरकार को प्रांत के करक जिले में अल्पसंख्यकों के अधिकार सुनिश्चित करने का सुझाव दिया गया है. आयोग ने प्रांत के मुख्यमंत्री महमूद खान से भी मुलाकात की. प्रांतीय सरकार ने हिंदू समुदाय के परामर्श से समाधि और मंदिर के पुनर्निर्माण का आश्वासन दिया है.
भारत ने जताया विरोध
मंदिर पर हमले की मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के नेताओं ने कड़ी निंदा की है. भारत ने भी मंदिर में तोड़फोड़ को लेकर पाकिस्तान के समक्ष अपना विरोध दर्ज कराया है और इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है.
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