अमेरिका: MIT ने इजाद की क्रांतिकारी तकनीक, तो क्या अब चींटी के साइज़ के हो सकेंगे लोग?
ये प्रोजेक्ट 2014 में शुरू हुआ था. साइ-फाइ जॉनर के फैंस के दिल में इस ख़बर के बाद ऐसी उम्मीद जगी होगी कि क्या अब एंट मैन हकीकत हो सकता है.
मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) ने क्रांतिकारी तकनीक इजाद की है. इस महीने एमआईटी ने घोषणा की है कि उन्होंने चीज़ों को नैनोस्केल तक छोटा करने की तकनीक ढूंढ ली है. ये चीज़ें इतनी छोटी होंगी जिन्हें देखने के लिए लेज़र वाले माइक्रोस्कोप का इस्तेमाल करना होगा. इसका मतलब है कि अब किसी भी साधारण चीज़ को 1000 गुणा तक छोटा किया जा सकता है.
चीज़ों को छोटा करने की इस तकनीक को "इमप्लोझन फैब्रिकेशन" का नाम दिया गया है. अमेरिकी मीडिया सीएनएन के मुताबिक इसका इस्तेमाल छोटे माइक्रोस्कोप से लेकर छोटे सेल फोन लेंस और छोटे रोबोट्स तक बनाने के लिए किया जा सकता है जिससे लोगों के जीवन को आसान बनाया जा सकेगा. एक बयान में न्यूरोटेक्नोलॉजी के मुख्य शोधकर्ता प्रोफेसर एडवर्ड बॉयडन ने कहा, "लोग सालों से छोटे नैनोमटेरियल बनाने के लिए बेहतर उपकरण का आविष्कार करने की कोशिश कर रहे हैं. इसके साथ आप सभी प्रकार की चीजें कर सकते हैं."
इससे जुड़ी हनी आई श्रंक द किड्स और एंट मैन जैसी कई कल्ट फिल्में आई हैं. लेकिन अब ये तकनीक एक हकीकत बन गई है. उदाहरण के लिए कैंसर की दवाओं के लिए वैज्ञानिक छोटे रोबोटिक कणों को इससे जोड़ने के तरीकों की खोज कर रहे हैं जो केवल कैंसर सेल्स पर असर करें और माइक्रोचिप्स भूल जाइए-एमआईटी का कहना है कि इस तकनीक का उपयोग छोटे "नैनोचिप" इलेक्ट्रॉनिक्स विकसित करने के लिए भी किया जा सकता है.
सबसे अच्छी बात ये है कि एमआईटी की अत्याधुनिक तकनीक के लिए बस एक लेज़र और एक एबज़ॉर्बेंट जेल की ज़रूरत है (आमतौर पर बच्चों के डायपर में इसका इस्तेमाल होता है)- ये वो चीज़ें जो कि ज़्यादातर जीवविज्ञान और इंजीनियरिंग प्रयोगशालाओं में पहले से ही होती हैं.
ये कैसे काम करता है: लेज़र के इस्तेमाल से वैज्ञानिक एबजॉर्बेंट जेल से एक स्ट्रकर बनाते हैं. ये काम 3डी में लिखने वाली एक कलम से किया जाता है. फिर वो इसमें कोई भी मटेरियल जोड़ सकते हैं, जैसे कि मेटल, डीएनए या छोटा "क्वांटम डॉट" पार्टिकल. फिर वो स्ट्रकर को छोटा कर देते हैं.
आपको बता दें कि ये प्रोजेक्ट 2014 में शुरू हुआ था. साइ-फाइ जॉनर के फैंस के दिल में इस ख़बर के बाद ऐसी उम्मीद जगी होगी कि क्या अब एंट मैन हकीकत हो सकता है. लेकिन अभी एमआईटी ने इंसान को छोटा करने को लेकर कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की है. लेकिन विज्ञान की बदौलत कब क्या हो जाए ये कहना संभव नहीं है.
ये भी देखें
घंटी बजाओ: धर्मांतरण के डर से पाकिस्तान से भाग भारत आते हैं हिंदू शरणार्थी, लेकिन यहां भी होती है अनदेखी !