अमेरिकी उपराष्ट्रपति से मिले मोदी, हिंद-प्रशांत क्षेत्र को मुक्त, खुला और समृद्ध बनाने पर तलाशेंगे संभावना
दोनों नेताओं के बीच रक्षा सहयोग और मुक्त एवं खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र की जरूरत सहित द्विपक्षीय संबंधों के अन्य मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है.
सिंगापुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को सिंगापुर में पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन से इतर अमेरिका के उपराष्ट्रपति माइक पेन्स से मुलाकात की. दोनों नेताओं के बीच रक्षा सहयोग और मुक्त एवं खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र की जरूरत सहित द्विपक्षीय संबंधों के अन्य मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है. मोदी ने सिंगापुर के दो दिवसीय दौरे की बुधवार को शुरुआत की जहां वह पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन, आसियान-भारत अनौपचारिक बैठक, क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी शिखर बैठक में भाग लेंगे.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दोनों नेता द्विपक्षीय रक्षा सहयोग और हिंद-प्रशांत को मुक्त एवं खुला बनाए रखने के अपने साझा नजरिए पर चर्चा कर सकते हैं. पेन्स सिंगापुर में आसियान एव पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का प्रतिनिधित्व करेंगे.
Prime Minister Narendra Modi holds a bilateral meeting with Michael R. Pence, Vice-President of the United States of America, in Singapore pic.twitter.com/XXqDFon8Vz
— ANI (@ANI) November 14, 2018
आसियान के साथ भारत का कुल व्यापार 10.58 फीसदी है
आसियान समूह के वर्तमान अध्यक्ष के तौर पर सिंगापुर की ओर से आयोजित 13वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस), क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी शिखर बैठक (आरसीईपी) में भी मोदी शामिल होंगे. रणनीतिक साझेदार के तौर पर भारत एवं आसियान के बीच करीबी व्यापारिक एवं आर्थिक संबंध हैं. भारत और आसियान के बीच 2017-18 में करीब 81.33 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था जो भारत के कुल व्यापार का 10.58 फीसदी है. आसियान देशों को किया गया निर्यात भारत के कुल निर्यात का 11.28 फीसदी रहा.
भारत और अमेरिका ने संसाधनों से समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र में संचालन सहयोग और बढ़ाने के तरीके ईजाद कर लिए हैं. इस क्षेत्र में चीन अपना प्रभाव बढ़ाने का लगातार प्रयास कर रहा है. चीन अपने फायदे के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र को फिर से निर्धारित करने के लिए अपने पड़ोसियों पर 'दबाव' बना रहा है. क्षेत्र में चीन की बढ़ते सैन्य अभ्यास को देखते हुए भारत, अमेरिका और अन्य वैश्विक ताकतें हिंद-प्रशांत क्षेत्र को मुक्त, खुला एवं समृद्ध बनाने की जरूरत पर बातचीत कर रही हैं.
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