जेनेवा: इराक में इस्लामिक स्टेट (आईएस) की तरफ से साल 2014 में मोसुल और इराक के अन्य हिस्सों को अपने कब्जे में लिए जाने के बाद से 1,000 से ज्यादा बच्चों की मौत हुई है. संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने बताया कि अन्य 50 लाख बच्चों को आपातकालीन सहायता की जरूरत है.
इराक में कार्यरत यूनीसेफ के प्रतिनिधि पीटर हॉकिन्स ने अपने बयान में कहा, "पूरे इराक में बच्चे भयावह और अकल्पनीय हिंसा का सामना कर रहे हैं."
उन्होंने कहा, "हालिया इतिहास में यह सबसे क्रूरतम युद्ध में से एक है, वे मार दिए गए, घायल हुए, अगवा किए गए और उन्हें गोलाबारी करने और हत्या करने के लिए मजबूर किया गया."
हॉकिन्स ने बताया कि मोसुल में यूनिसेफ ने ऐसे कई मामले देखे, जहां आईएस के कब्जे वाले इलाके से पलायन की कोशिश कर रहे परिवारों के बच्चों की आतंकवादियों ने हत्या कर दी.
उन्होंने कहा कि लोगों को पलायन करने से रोकने के लिए आतंकवादी बच्चों का इस्तेमाल युद्ध के हथियार के रूप में कर रहे हैं.
यूनीसेफ की नई रिपोर्ट 'नोवेयर टू गो' के आंकड़ों के मुताबिक, 2014 के बाद से 1,075 बच्चे इराक में मारे जा चुके हैं. उनमें से 152 बच्चे इस साल की पहली छमाही में मारे गए.
आईएस के साथ संघर्ष के दौरान 2014 के बाद से कुल 1,130 बच्चे घायल हुए, जिसमें इस साल घायल हुए 255 बच्चे भी शामिल हैं और 4,650 से ज्यादा बच्चे अनाथ हुए हैं या अपने परिवारों से बिछड़ गए हैं.
30 लाख से ज्यादा बच्चे नियमित रूप से स्कूल नहीं जा पाते और 12 लाख बच्चों की शिक्षा आईएस के कारण या घरों से पलायन के कारण अधर में लटक गई. इराक में युद्ध के कारण पिछले तीन सालों में 15 लाख बच्चे विस्थापित हुए.
यूनीसेफ का कहना है कि लोगों को युद्धग्रस्त क्षेत्रों से पलायन या उन स्थानों पर लौटने की अनुमति दी जानी चाहिए, जहां संघर्ष समाप्त हो गए हैं.
यूनीसेफ ने बताया कि उसने इराक के बच्चों की सहायता और घरों से पलायन करने वाले परिवारों की वापसी पर उनके की तरफ से जीवन शुरू करने में उनकी मदद के लिए दाताओं से 10 करोड़ डॉलर की तत्काल सहायता की मांग की है.